Bawa Lal Dayal ji Birthday: आज है सतगुरु बावा लाल दयाल जी की 668वीं जयंती

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jan, 2023 11:00 AM

bawa lal dayal ji birthday

सन् 1355 ई. के माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को लाहौर स्थित कस्बे कसूर में पटवारी भोलामल के घर अवतरित होने वाले सत्गुरु बावा लाल दयाल ने बचपन में ही जहां शास्त्रों का ज्ञान लिया, वहीं अपने गुरु चैतन्य देव से

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Baba Lal Dayal Ji Jayanti 2023: सन् 1355 ई. के माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को लाहौर स्थित कस्बे कसूर में पटवारी भोलामल के घर अवतरित होने वाले सत्गुरु बावा लाल दयाल ने बचपन में ही जहां शास्त्रों का ज्ञान लिया, वहीं अपने गुरु चैतन्य देव से कई सिद्धियां भी प्राप्त कीं। इन्हें आध्यात्मिक गुण अपनी माता कृष्णा देवी से प्राप्त हुए। बचपन में ही बालक के रंग-ढंग और मुख पर अलौकिक तेज था और आगे चल कर वह परम सिद्ध, परम तपस्वी, ज्ञानी, योगीराज तथा परमहंस जैसी उपाधियों से अलंकृत हुए। कहते हैं कि बावा लाल दयाल ने योग शक्ति के बल पर 300 वर्ष का सुदीर्घ जीवन प्राप्त किया और आप हर 100 साल बाद फिर से बाल रूप धारण कर लेते थे। विद्वता, अलौकिक दिव्य दृष्टि तथा मुख पर तेज से प्रभावित हो मुगल शासक शहंशाह के पुत्र दारा शिकोह ने आपसे लम्बा संवाद किया और आपका शिष्य ही बन गया। परमयोगी बावा लाल दयाल का जिक्र कई ऐतिहासिक किताबों में दारा शिकोह और अन्य मुगल शासकों के प्रसंगों में भी आता है ।

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Shri Bawa Lal Dayal Ji Ki katha: आपने बचपन में ही गुरमुखी के साथ-साथ फारसी, संस्कृत इत्यादि कई भाषाओं का ज्ञान तो प्राप्त किया ही वेद, उपनिषद् और रामायण जैसे ग्रंथ भी कंठस्थ कर लिए। अपनी विद्वता से आप सभी को प्रभावित किया करते थे। बचपन में गऊएं चराते-चराते महात्माओं की एक टोली से आपका मिलन हुआ। टोली के प्रमुख महात्मा अपने पैरों का चूल्हा बनाकर उस पर चावल बना रहे थे। बालक लाल ने ऐसा दृश्य देख महात्माओं के चरण स्पर्श किए। उन्होंने चावलों के तीन दाने प्रसाद रूप में बालक लाल को दिए। प्रसाद ग्रहण करते ही हृदय और मस्तिष्क में अपूर्व ज्योति प्रज्वलित हुई और मोह-माया के तमाम बंधन छूट गए। परमात्मा मिलन की चाह लेकर बालक लाल अनजान दिशा की ओर चल पड़ा।

Baba Lal Dayal ji birthday: सत्गुरु बावा लाल दयाल ने पूरे भारत का भ्रमण कर अनेक तीर्थ स्थलों के दर्शन किए और हरिद्वार, केदारनाथ धाम इत्यादि में तपस्या की। वह अफगानिस्तान और साथ लगते खाड़ी देशों व अन्य क्षेत्रों में भी गए। भ्रमण दौरान गुरदासपुर के कलानौर पहुंचे और नदी किनारे तपस्या करने लगे। यहीं आपने अपने भौतिक शरीर का कायाकल्प कर लिया और फिर से 16 वर्षीय बालक का रूप धारण किया। शिष्य ध्यानदास को इन्होंने ऐसे शांतमय स्थान की तलाश में भेजा जहां बैठ तपस्या भी की जा सके और उसे अपना डेरा भी बनाया जा सके। ध्यानदास पास ही स्थित एक टीले पर इन्हें ले गए। यह स्थान बावा लाल दयाल जी को काफी पसंद आया और बाद में ध्यानपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने इसे ही अपना डेरा बना लिया। ध्यानपुर धाम में ही सत्गुरु बावा लाल दयाल विक्रमी सम्वत् 1712 में ब्रह्मलीन हुए।

668th Jayanti of Baba Lal Dayal Ji: सत्गुरु बावा लाल दयाल की गद्दी पर 1 नवम्बर, 2001 को 15वें वर्तमान महंत के रूप में श्री राम सुंदर दास जी विराजमान हुए। इन्होंने श्री ध्यानपुर धाम में विभिन्न सुविधाओं का अभूतपूर्व विकास किया और गौशाला को भव्य स्वरूप दिया। ध्यानपुरधाम के अलावा दिल्ली, हरिद्वार, वृंदावन और अन्य स्थानों पर भी लाल द्वारों, सरायों इत्यादि में बावा जी के सेवकों हेतु अच्छी सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। इस साल सत्गुरु बावा लाल दयाल जी की 668वीं जयंती 23 जनवरी को देश-विदेश में मनाई जा रही है। मुख्य आयोजन श्री ध्यानपुरधाम में महंत राम सुंदर दास की अध्यक्षता में होगा। 23 जनवरी  को ध्यानपुर में विशेष सत्संग व आरती का आयोजन होगा।   

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