Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Feb, 2024 08:11 AM
आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस शुभ दिन को भीष्म अष्टमी नाम से जाना जाता है। महाभारत की एक कथा के अनुसार महाभारत में युद्ध करते हुए पितामह भीष्म ने वचनबद्ध होने के कारण
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2024 Bhishma Ashtami: आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस शुभ दिन को भीष्म अष्टमी नाम से जाना जाता है। महाभारत की एक कथा के अनुसार महाभारत में युद्ध करते हुए पितामह भीष्म ने वचनबद्ध होने के कारण कौरव पक्ष की ओर से युद्ध किया था किंतु सत्य एवं न्याय की रक्षा हेतु उन्होंने स्वयं ही अपनी मृत्यु का रहस्य अर्जुन को बता दिया था। अर्जुन ने शिखंडी की आड़ में भीष्म पर इस कदर बाण वर्षा की कि उनका शरीर बाणों से बिंध गया तथा वह बाण शय्या पर लेट गए किंतु उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति तथा प्रभु कृपा के चलते मृत्यु का वरण नहीं किया क्योंकि उस समय सूर्य दक्षिणायन था। जैसे ही सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया और सूर्य उत्तरायण हो गया, भीष्म ने अर्जुन के बाण से निकली गंगा की धार का पान कर प्राण त्याग, मोक्ष प्राप्त किया।
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Puja and Vrat Rituals of Bhishma Ashtami: माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्। श्राद्ध च ये नरा: कुर्युस्ते स्यु: सन्ततिभागिन:।।

अर्थात भीष्म पितामह की याद में आज के दिन व्रत, दान और तर्पण करने का अत्यधिक महत्व है। सभी सनातन धर्मीयों को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल और जल का तर्पण करना चाहिए। जिनके माता-पिता जीवित हों उन्हें भी और जिनके न हों उन्हें भी। ऐसा करने से गुणवान और प्रतिभावान संतान की प्राप्ति होती है।

Why is Bhishma Ashtami celebrated: महाभारत में कहा गया है, जो व्यक्ति माघ शुक्ल अष्टमी के दिन भीष्म पितामह के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करेंगे उनके वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाएंगे।
शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्। संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।
तर्पण और जलदान करते समय इस मंत्र का जाप करें- वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च। अर्घ्यं ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।
