Devprayag: कलियुग में सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है भागीरथी और अलकनंदा का संगम स्थल देवप्रयाग

Edited By Updated: 04 Apr, 2025 06:30 AM

devprayag

Devprayag: भागीरथी और अलकनंदा के संगम पर स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ देवप्रयाग के बारे में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि यह तीर्थ कलियुग के सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला और मोक्षदायी है। यहां तक कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने स्वयं इस तीर्थ पर निवास...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Devprayag: भागीरथी और अलकनंदा के संगम पर स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ देवप्रयाग के बारे में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि यह तीर्थ कलियुग के सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला और मोक्षदायी है। यहां तक कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने स्वयं इस तीर्थ पर निवास कर इसे गौरवांवित किया था।

Devprayag

ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर देवप्रयाग नामक विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भागीरथी व अलकनंदा के संगम पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि सतयुग में देव शर्मा नामक प्रसिद्ध मुनि ने दस हजार वर्ष तक पत्ते खाकर व एक हजार वर्ष तक एक पैर पर खड़े होकर इसी स्थान पर भगवान विष्णु की तपस्या की थी। उनकी तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और कहा, ‘‘वर मांगो मैं तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हूं।’’

मुनि देव शर्मा ने कहा, ‘‘भगवान, हमारी प्रीति आपके चरणों में रहे और यह पवित्र क्षेत्र कलियुग में सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला हो, आप सदा इस क्षेत्र में निवास करें और जो व्यक्ति इस क्षेत्र में आपकी पूजा-अर्चना करे वह परम गति को प्राप्त हो।’’

Devprayag
भगवान विष्णु ने कहा, ‘‘ऐसा ही होगा। मैं त्रेतायुग में दशरथ के पुत्र राम के रूप में अवतार लूंगा और रावण आदि राक्षसों का वध करके कुछ समय अयोध्या का राज-काज चलाकर यहीं आऊंगा। तब तक तुम इसी स्थान पर निवास करो।’’ इसके बाद विष्णु अंतर्ध्यान हो गए और देव शर्मा वहां रहने लगे।

त्रेतायुग आने पर भगवान विष्णु ने दशरथ पुत्र राम के रूप में जन्म लिया और रावण को मार कर अयोध्या में कुछ समय बिताने के बाद वहां आकर दर्शन दिए और कहा, ‘‘हे मुनि! तुम्हें सीधे मोक्ष प्राप्त होगा और यह पावन स्थान तीनों लोकों में प्रसिद्ध होगा।’’

Devprayag
तत्पश्चात राम, सीता और लक्ष्मण इस स्थान पर निवास करने लगे। इसी देव शर्मा मुनि के नाम पर इस स्थान का नाम देवप्रयाग पड़ा। देवप्रयाग का मुख्य मंदिर रघुनाथ मंदिर है। मंदिर के शिखर पर सोने का कलश है और शिखर के नीचे गर्भगृह में भगवान राम की विशाल मूर्ति है। उनके दोनों चरणों तथा हाथों पर आभूषण व सिर पर सोने का मुकुट है। वे हाथों में धनुष बाण और कमर में ढाल लिए हैं। उनके एक तरफ सीता जी और दूसरी तरफ उनके भ्राता लक्ष्मण की मूर्ति है। मंदिर के बाहर गरुड़ की पीतल की मूर्ति है। मंदिर के दाहिनी ओर बद्रीनाथ महादेव व कालभैरव हैं।

संगम के पूर्व में तुंडीश्वर महादेव हैं। अलकनंदा के किनारे एक पवित्र कुंड है। कहा जाता है कि तुंडा नामक भीलनी ने यहां लम्बे समय तक शिवजी का तप किया था। शिवजी ने उसे दर्शन दिए और तुंडीश्वर नाम से प्रसिद्ध हो गए। संगम के उत्तर में गंगा किनारे वाराह शिला, वेताल शिला, वशिष्ठ तीर्थ, पौष्पमाला तीर्थ, विल्व व सूर्य तीर्थ, भरत जी का मंदिर आदि है।

Devprayag
पौष्पमाला तीर्थ के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब महर्षि विश्वामित्र हिमवान पर्वत पर तपस्या कर रहे थे तो इंद्र आदि देवताओं ने पुष्पमाला नामक किन्नरी को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा। पुष्पमाला ने महर्षि विश्वामित्र पर कामदेव का कुसुम बाण छोड़ा जिससे विश्वामित्र का ध्यान भंग हो गया। उन्होंने पुष्पमाला को श्राप दिया कि तू मकरी हो जाए। बाद में पुष्पमाला के याचना करने पर विश्वामित्र ने कहा कि तू कुछ समय तक देवप्रयाग में निवास कर। त्रेतायुग में भगवान राम-लक्ष्मण तुझे मुक्ति देंगे।

त्रेतायुग में राम-लक्ष्मण देवप्रयाग आए और गंगा में स्नान करने लगे, तो मकरी उनकी ओर झपटी। इसी दौरान रामचंद्र जी ने उसका सिर काट डाला। सिर कटते ही एक अप्सरा प्रकट हुई और भगवान राम की स्तुति करने लगी।

तब भगवान राम ने कहा कि आज से यह स्थान पौष्पमाल तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध होगा। यहां पूजा-अर्चना, स्नानादि करने वालों पर मैं प्रसन्न होऊंगा। इस स्थान पर पितरों का तर्पण करने से वे सहज ही स्वर्ग को प्राप्त हो जाएंगे।

Devprayag

वेताल तीर्थ के ऊपर सूर्य तीर्थ है जिसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। मेधातिथि नामक ब्राह्मण ने यहां प्राचीन समय में सूर्य भगवान की तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने वर मांगने को कहा, तब मेधातिथि ने कहा, ‘‘हे प्रभु, आप इस तीर्थ में निवास कर इसे तीनों लोकों में विख्यात करो।’’

सूर्य ने कहा, ‘‘ऐसा ही होगा।’’
मान्यता है कि माघ सुदी सप्तमी के दिन सूर्यकुंड में स्नान करने से मनुष्य लम्बे समय तक सूर्य लोक में रहता है। जब वामन भगवान ने सम्पूर्ण भूमंडल को 3 कदमों में नापा था, उस समय उनके चरण के नख से जल की धारा बह निकली जो ध्रुव मंडल और सप्तऋषि मंडल होती हुई मेरू पर्वत पर गिरी और 4 भागों में बंट गई। इसकी इस धारा को शिव की जटाओं में राजा भगीरथ लाए जो भगीरथी कहलाई और दूसरी धारा अलकापुरी होती हुई आई और अलकनंदा कहलाई। ये दोनों ही धाराएं देवप्रयाग में आकर मिल गईं और यही संगम मोक्ष प्रदान करता है।

Devprayag
पंचप्रयाग का हिस्सा
देवप्रयाग पंच प्रयाग का हिस्सा है। अन्य चार प्रयाग इस प्रकार हैं :
विष्णुप्रयाग जहां धौलीगंगा और अलकनंदा नदियां मिलती हैं।
नंदप्रयाग जहां नंदाकिनी नदी का मिलन अलकनंदा नदी से होता है।
कर्णप्रयाग जहां अलकनंदा और पिंदर नदी का मिलन होता है।
रुद्रप्रयाग जहां अलकनंदा और मंदाकिनी नदी मिलती हैं।

Devprayag

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!