Holi: आज से शुरु होगी काशी में होली, 50 सालों से मुस्लिम परिवार बना रहा है भोलेनाथ की पगड़ी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Mar, 2023 09:43 AM

holi in kashi

महादेव की नगरी काशी में होली का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। काशी में होली का पर्व रंगभरी एकादशी से प्रारंभ हो जाता है। यहां महादेव के मस्तक पर सजने वाली अकबरी पगड़ी को काशी का एक मुस्लिम परिवार तैयार करता है।

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Holi in kashi 2023: महादेव की नगरी काशी में होली का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। काशी में होली का पर्व रंगभरी एकादशी से प्रारंभ हो जाता है। यहां महादेव के मस्तक पर सजने वाली अकबरी पगड़ी को काशी का एक मुस्लिम परिवार तैयार करता है। शहर के लल्लापुरा इलाके के ग्यासुद्दीन और उनका पूरा परिवार सच्ची श्रद्धा के साथ महादेव की पगड़ी बनाने में जुटा हुआ है। ग्यासुद्दीन ने बताया, ‘‘50 वर्षों से उनका परिवार महादेव के मस्तक पर सजने वाली अकबरी पगड़ी बना रहा है। इस साल भी हम महादेव के लिए पूरी श्रद्धा के साथ अकबरी पगड़ी बना रहे हैं जो लगभग तैयार है।’’

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Kashi Holi 2023 पगड़ी बनाने के लिए नहीं लेते पैसा
इस पगड़ी में रेशमी सिल्क के कपड़े, जरी, नगीने, दस्ती, मोती और पंख के साथ ही साथ सजावट के अन्य बारीक सामानों को लगाया गया है। इस वर्ष महादेव की पगड़ी को लाल रंग के कपड़े पर बनाया गया है। ग्यासुद्दीन ने बताया, ‘‘जिस तरह हम वजू करके नमाज अता करते हैं। वैसे ही पूरी साफ -सफाई का ध्यान रखते हुए महादेव की पगड़ी तैयार करते हैं। इसको बनाने के लिए पिछले 50 सालों में हमने कभी कोई पैसा नहीं लिया।’’

जो अकबरी पगड़ी काशी का यह मुस्लिम परिवार बना रहा है, वह महादेव की चांदी की पंचबदन प्रतिमा पर सुशोभित होगी। इस्लामी युग ने भारतवर्ष में पगड़ी में कई बदलाव किए। मुसलमान अपने स्वरूप की पगड़ी जिसे फारसी/अरब संस्कृति के बाद शैलीबद्ध किया गया था, पहनते थे। अकबर ने पगड़ी को अत्यधिक महत्व दिया। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पगड़ी शैली को मुगलई से बदलकर हिंदुस्तानी कर लिया था। अकबरी पगड़ी काफी लोकप्रिय हुई। इसमें खास था पगड़ी में आगे निकला हुआ पंख जो इसमें चार चांद लगा देता था। यह पगड़ी आज भी अपना मुकाम रखती है और लोग इसे पहनना पसंद करते हैं।

Holi celebrations at Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi प्रसिद्ध है काशी की रंगभरी एकादशी
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि रंगभरी एकादशी पर रजत सिहासन पर माता गौरा संग विराज कर भगवान शंकर सभी को दर्शन देते हैं। इसके बाद माता पार्वती, महादेव के साथ नगर भ्रमण को निकलती हैं और भक्तों संग सूखे रंग से होली खेलती हैं। महादेव के चरणों में रंग, अबीर अर्पित कर काशीवासी इसी दिन से होली के 4 दिवसीय उत्सव की शुरूआत करते हैं।

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