Janakpur Dham: जनकपुर में आज भी गूंजती हैं राम-सीता विवाह की गाथाएं, जानिए कहां स्थित है विवाह मंडप

Edited By Updated: 13 Apr, 2025 11:47 AM

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नेपाल की राजधानी काठमांडू से तकरीबन 400 किलोमीटर दूर स्थित है जनकपुर धाम। यहां जनक पुत्री माता सीता का 4860 वर्गफुट में फैला विशाल व भव्य मंदिर है, जो हिंदुओं की अटूट आस्था और विश्वास का केंद्र है।

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Janakpur Dham: नेपाल की राजधानी काठमांडू से तकरीबन 400 किलोमीटर दूर स्थित है जनकपुर धाम। यहां जनक पुत्री माता सीता का 4860 वर्गफुट में फैला विशाल व भव्य मंदिर है, जो हिंदुओं की अटूट आस्था और विश्वास का केंद्र है।

मंदिर नेपाल के जनकपुर के केंद्र में स्थित है। राजा जनक के नाम पर शहर का नाम जनकपुर रखा गया था। यह नगरी मिथिला की राजधानी थी। भगवान श्रीराम से विवाह से पहले सीता माता ने अधिकतर समय यहीं व्यतीत किया था।

माता सीता के मंदिर के समीप ही वह शुभ और अद्भुत स्थल है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और जनक नंदिनी माता सीता का विवाह हुआ था। वैसे तो जानकी धाम स्थित जानकी मंदिर पड़ोसी देश नेपाल की धरती पर स्थित है, लेकिन वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में आधे से अधिक भारतीय होते हैं।
भारत से रेलमार्ग से जयनगर (बिहार) होते हुए सड़क के रास्ते जानकी मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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मंदिर का इतिहास
इतिहास खंगालने पर ज्ञात होता है कि इस मंदिर को बनने में लगभग 16 साल का समय लगा। इसका निर्माण 185 में शुरू हुआ था और 111 में संपूर्ण। मंदिर के आसपास 115 सरोवर और कुंड हैं, जिनमें गंगा सागर, परशुराम सागर व धनुष सागर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं।

राजपुताना महारानी ने करवाया था मंदिर का निर्माण
माता सीता के इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभानु कुमारी के द्वारा करवाया गया था, मंदिर के निर्माण में करीब 9 लाख रुपए लगे थे इसलिए मंदिर को नौ-लखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक 1657 में यहां पर माता सीता की सोने की मूर्ति मिली थी। जानकार बताते हैं कि पहले यहां जंगल हुआ करता था, जहां शुरकिशोर दास तपस्या-साधना करने पहुंचे थे। यहां रहने के दौरान उन्हें माता सीता की एक मूर्ति  मिली थी, जो सोने की थी, उन्होंने ही इसे वहां स्थापित किया था।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक रामायण-काल में बैसाख की नवमी तिथि को मिथिला के राजा जनक के घर सीता का जन्म हुआ था। मिथिला की राजधानी का नाम जनकपुर था, इसलिए सीता को जानकी भी कहा जाता है।

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जनकपुर स्थित जानकी मंदिर में स्थापित कलाकृतियां तथा इसका वास्तुशिल्प भी बेहद अद्भुत है। माता सीता को समर्पित इस मंदिर को ऐतिहासिक स्थल भी माना जाता है, जहां माता सीता का जन्म हुआ और उनके विवाह के बाद यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का ससुराल बना। मौजूदा वक्त भी इस मंदिर में ऐसे प्रमाण मौजूद हैं, जो रामायण-काल का उल्लेख करते हैं।

रामायण के मुताबिक माता सीता ने धरती मां के गर्भ से जन्म लिया था और नि:संतान राजा जनक को खेत में हल चलाते समय मिली थी। कहा जाता है कि जनकपुर धाम में आज भी वह स्थान मौजूद है, जहां पर राजा जनक को माता सीता का प्रापत्य हुआ था।

भव्य व दिव्य जानकी मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और विधि-विधान से माता सीता की पूजा-अर्चना करते हैं। जानकी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है वह पावन स्थल, जहां भगवान राम और माता जानकी का विवाह हुआ था। कहते हैं कि भगवान श्री राम ने यहीं पर माता सीता से विवाह के लिए स्वयंवर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। यहां मौजूद पत्थर के टुकड़े को धनुष का अवशेष कहा जाता है।

श्री राम-सीता के विवाह मंडप के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, इस मंडप को लेकर मान्यता है कि यहां पर आने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। आसपास के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर जाते हैं।

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