Niti Gyan: बच्चों को सिखाएं बुजुर्गों की सेवा करना

Edited By Jyoti,Updated: 10 Dec, 2022 12:35 PM

niti gyan in hindi

आज कल के मार्डन जमाने में बच्चे अपने आधुनिक मूल्य भूलते जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके संस्कार आदि याद करवाने बेहद जरूरी है। ताकि वो न केवल अपने मां बाप का सम्मान करना सीख पाएं बल्कि बुढ़ापे में उनका सहारा बन सके।

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आज कल के मार्डन जमाने में बच्चे अपने आधुनिक मूल्य भूलते जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके संस्कार आदि याद करवाने बेहद जरूरी है। ताकि वो न केवल अपने मां बाप का सम्मान करना सीख पाएं बल्कि बुढ़ापे में उनका सहारा बन सके। अतः आज हम आपको ऐसी ही कुछ बाते बताने जा रहे हैं जो बच्चों की आज कल जमान में सिखानी बहुत आवश्यक है। 

बचपन में जिस मां-बाप ने तुमको पाला, उनके बुढ़ापे में यदि तुमने उनको नहीं संभाला, तो तुम्हारे भाग्य में ऐसी ज्वाला भड़केगी कि तुमको कहीं का नहीं छोड़ेगी।

घर में वृद्ध मां-बाप से यदि आप बोलते नहीं हैं, उनको संभालते नहीं मगर वृद्धाश्रम व जीव दया में दान करते हैं, ऐसे व्यक्ति को दयालु कहना, दया का अपमान है।

दो किलो का वजन उठाने से तुम्हारे हाथ दुख जाते हैं, मां को सताने से पहले सोचो कि उसने तुम्हें 9 महीनों तक पेट में कैसे उठाया होगा।

बचपन में मां-बाप तुझे उंगली पकड़ कर स्कूल लेकर जाते थे। उनके बुढ़ापे में उनका सहारा बनकर धर्म स्थान जरूर ले जाना, शायद तेरा थोड़ा कर्ज पूरा हो जाए।

मां-बाप को सोने से न मढ़ो तो चलेगा, हीरे से न जड़ो तो भी चलेगा, पर उनका कलेजा जले और वे अंदर से आंसू बहाएं, यह नहीं चलेगा। ऐसी बद्दुआ मत लेना।

जिनके जन्म पर मां-बाप ने हंसी-खुशी में पेड़े बांटें, वे ही बेटे जवान होकर मां-बाप को बांटें। हाय यह कैसी करुणा, कैसी दया, कैसी विडम्बना।

पेट में पांच बेटे जिस मां को भारी नहीं लगते थे, वह मां पांच बेटों को अलग-अलग मकान में भी भारी लग रही है।

कबूतर को दाना, गाय को चारा डालने वाली औलाद यदि मां-बाप को दबाए, तो ऐसे दाने व चारे में कोई दम नहीं।

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जिसे मां-बाप ने बोलना सिखाया, वह बच्चा बड़ा होकर मां-बाप को चुप रहना सिखाता है।

जिस दिन तुम्हारे कारण मां-बाप की आंखों में आंसू आते हैं, याद रखना कि उस दिन तुम्हारा किया हुआ सारा धर्म-कर्म उन आंसुओं में बहकर व्यर्थ हो जाएगा।

बचपन में गोद देने वाली मां को बुढ़ापे में दगा देने वाला मत बनना।

यदि आप अपना अच्छा भविष्य चाहते हैं तो...
घर में बच्चों को जरूरी संस्कार देकर अपने से बड़ों का आदर करना सिखाएं।

नित्य मां-बाप को प्रणाम करके ही फिर खाना-पीना शुरू करें ताकि आपके बच्चे भी विनय के संस्कार सीखें।

नित्य मां-बाप के पास कुछ समय बीता कर उनके सुख-दुख का ध्यान रखें।

अपने बच्चों को उनके दादा-दादी के सम्पर्क में रखें व उन्हें बड़ों की सेवा, विनय, आज्ञा पालन करना सिखाएं।

बचपन के संस्कार जिंदगी भर रहते हैं, कच्चे घड़े को जिस ढंग से ढालोगे ढल जाएगा। अत: अपने बच्चों का परिचय हमेशा अच्छे मूल्यों से करवाएं, न की उन्हें आधुनिकता का ज्ञान दें।

बच्चों का खान-पान, चाल-चलन, वेशभूषा आदि को मर्यादित व सात्विक रखें ताकि उनमें भी सात्विकता पनपे।
 

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