Panchavati anjaneya mandir: पुडुचेरी में स्थित है हनुमान जी का पंचवटी आंजनेय मंदिर, जानें इसका इतिहास

Edited By Updated: 26 Jan, 2025 12:37 PM

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Panchavati anjaneya mandir: पुडुचेरी का प्रसिद्ध ‘पंचवटी आंजनेय मंदिर ’प्राचीन भारतवर्ष के जनपद पुड्डुचेरी को फ्रैंच हुकूमत एवं ब्रिटिश दोनों ने ही नाम दिया पांडिचेरी। यहां बहुत काल तक फ्रांसिसियों ने शासन किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसका विलय...

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Panchavati anjaneya mandir: पुडुचेरी का प्रसिद्ध ‘पंचवटी आंजनेय मंदिर ’प्राचीन भारतवर्ष के जनपद पुड्डुचेरी को फ्रैंच हुकूमत एवं ब्रिटिश दोनों ने ही नाम दिया पांडिचेरी। यहां बहुत काल तक फ्रांसिसियों ने शासन किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसका विलय भारत में हुआ। इसके बाद इसका प्राचीन नाम पुन: पुड्डुचेरी रखा गया। इसे केंद्र शासित राज्य (प्रांत) का दर्जा प्राप्त होने से यह वर्तमान तमिलनाडु से तीन ओर घिरे रहने व पूर्व में समुद्र केरहने के बाद भी इसका शासन तंत्र दिल्ली के अधीन है।

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पुड्डुचेरी से 9 किलोमीटर दूर पांजावेड़ी गांव में पंचमुखी हनुमान जी की खड़ी हुई मूर्ति विराजमान है। यह पंचवटी आंजनेय मंदिर अथवा पंचवटी पंचमुखी हनुमान मंदिर के नाम से विख्यात है। भारत भर में अद्भुत हनुमान मंदिरों में से यह एक है, जहां हनुमान जी के पांच मुख (मस्तक) हैं और यहां प्रभु श्री राम जी का दरबार सजा हुआ है। यहां हनुमान जी की प्रतिमा को विलक्षण माना जाता है। यहां विराजमान काले पत्थर से निर्मित हनुमान प्रतिमा 36 फुट ऊंची और 8 फुट चौड़ी है तथा पांच मुख लिए यह विश्व की प्रथम प्रतिमा है।

उक्त मंदिर प्रमुखत: हनुमान मंदिर ही है, जिसमें हनुमान जी का मुख्य स्वरूप सामने है, जिसके दाएं और बाएं एक-एक मुख है तथा एक मुख नीचे और एक मुख पीछे है, जिसके दर्शन के लिए पीछे की ओर जाना पड़ता है। ये मुख हैं नरसिंह, वाराह, गरुड़ और अग्रीव (हयग्रीव) के। मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर गणपति जी का मंदिर है, जबकि बाईं और श्री राम दरबार सुशोभित है। यहां भक्तों को दही-भात प्रसाद प्राप्त होता है। मंदिर परिसर डेढ़ एकड़ भूमि में है। यह स्थान पहले पांच वट वृक्षों के लिए जाना जाता था और लोग इस क्षेत्र को पंचवटी कहते थे।

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दक्षिण भारत में हनुमान जी का दिन शनिवार को और उत्तर भारत में मंगलवार को माना जाता है। अब तो दोनों दिनों को ही हनुमान जी का दिन मानकर विशेष पूजा की जाती है। पंचवटी मंदिर में शनिवार को दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है। कुछ लोग अपनी मनौती, मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां लगातार पांच शनिवार को पहुंच कर साधना भी करते हैं। मंदिर का प्रबंधन पंचमुखी श्री जयमूर्ति सेवा ट्रस्ट के हाथों में है। यहां मंदिर में श्रीविग्रहों के दर्शन के लिए जो वेशभूषा पुड्डुचेरी अथवा तमिलनाडु के ग्रामीणों की परम्परा से है, उसी वेशभूषा में प्रवेश करना सुनिश्चित है।

पंचवटी मंदिर के आसपास एक छोटा-सा बाजार है, जहां आवश्यक सामग्री प्राप्त होती है। यहां ठहरने के लिए कुछ विशेष व्यवस्था नहीं है। अत: पुड्डुचेरी में ही ठहरना होता है। उक्त मंदिर का जिला विलुपरम उक्त मंदिर पुड्डुचेरी से आगे टिंडिवनम रोड पर स्थित है।

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