Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jan, 2023 07:46 AM
शनि देव को हमारे ज्योतिष में और नवग्रहों में एक प्रमुख स्थान हासिल है। इन्हें न्याय का देवता और कर्म का कारक माना गया है। ऐसा कहते हैं कि शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shani Rashi Parivartan: शनि देव को हमारे ज्योतिष में और नवग्रहों में एक प्रमुख स्थान हासिल है। इन्हें न्याय का देवता और कर्म का कारक माना गया है। ऐसा कहते हैं कि शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिन पर उनकी क्रूर दृष्टि पड़ती है, उस व्यक्ति की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि हमारे इसी जीवन में शनि हमारे कर्मों के मुताबिक हमें फल देते हैं।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सभी 9 ग्रहों में शनि का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखता है। शनि देव सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए करीब ढाई साल का समय लेते हैं। इसलिए शनि के अति धीमी चाल के कारण इनका शुभ-अशुभ प्रभाव जातकों पर लंबे समय तक रहता है।
शनि जब भी अपना राशि परिवर्तन करते हैं तो कई राशियों को राहत देते हैं और कई राशियों की जिंदगी में उथल-पुथल भी आती है। शनि अढ़ाई साल के बाद अपनी राशि बदलते हैं और सभी 12 राशियों के भ्रमण में वह 30 साल का समय लगाते हैं। इनकी महादशा 19 साल तक चलती है।
वर्ष 2023 की शुरुआत में ही शनि सबसे बड़ा राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। इससे एक राशि पर शनि की साढ़ेसाती और 2 राशियों पर शनि की ढैया समाप्त हो जाएगी, जबकि एक राशि पर शनि की साढ़ेसाती और 2 राशियों पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी। ऐसी कौन सी राशियां हैं, जिन पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या समाप्त होगी और कौन सी राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू होगी, इस बारे में आपको बताने जा रहे हैं। साथ में यह भी जानें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए।
जन्म कुंडली में शनि की शुभ स्थिति जहां लाभ प्रदान करती है, वहीं अशुभ स्थिति जीवन में दिक्कत, परेशानी और आर्थिक संकटों का कारण भी बनती है।
शनिदेव अपनी साढ़ेसाती, ढैया और अपनी महादशा व अंर्तदशा में व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। शनि देव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करने वाले देवता के रूप में जाने जाते हैं। यही कारण है कि शनि देव को हर कोई शांत रखना चाहता है और हर कोई शनि की कृपा पाने को लालायित रहता है।
शनिदेव तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के ग्रह माने जाते हैं। मकर और कुंभ इनकी अपनी राशियां हैं। बुध और शुक्र ग्रह के साथ इनकी मित्रता है, जबकि सूर्य,चंद्रमा और मंगल ग्रह इनके शत्रु माने जाते हैं।
शनि देव 2023 में 17 जनवरी मंगलवार को रात 8:02 पर अपनी मकर राशि से निकलकर अपनी दूसरी राशि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और 29 मार्च 2025 तक इसी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। 2025 में शनि मीन राशि में प्रवेश कर जायेंगे।
17 जनवरी 2023 को शनिदेव अपनी राशि बदलकर कुंभ राशि में आएंगे तो इस राशि परिवर्तन के 14 दिन के बाद शनि महाराज 31 जनवरी को अस्त हो जाएंगे और फिर 6 मार्च को उनका उदय होगा। फिर करीब 100 दिन की अवधि बीतने के बाद शनि महाराज 17 जून 2023 को अपनी कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे यानी उल्टी चाल चलने लगेंगे और 4 नवंबर 2023 तक इसी अवस्था में रहकर फिर मार्गी अवस्था में आ जाएंगे। यानी सीधी चाल चलने लगेंगे।
साल 2023 में शनि का राशि परिवर्तन और उसके बाद उनका अस्त होना, उदय होना, उल्टी चाल चलना और फिर सीधी चाल चलना सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगा। अच्छे फल भी देगा, बुरे फल भी देगा। उपलब्धियां भी देगा। समस्याएं भी देगा यानी विभिन्न राशियों पर शनि की चाल अलग-अलग असर डालेगी। अलग-अलग अनुभव देगी।
शनिदेव जैसे ही 17 जनवरी 2023 में कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे वैसे ही मिथुन और तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन इस दौरान कर्क और वृश्चिक वाले इसकी चपेट में आ जायेंगे।
इसी तरह शनि के 17 जनवरी 2023 में कुंभ राशि में प्रवेश करते ही धनु जातकों को पिछले 7:30 साल से चली आ रही शनि साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी, वहीं मीन राशि वाले इसकी चपेट में आ जायेंगे। जबकि मकर वालों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण तो कुंभ वालों पर इसका दूसरा चरण शुरू हो जायेगा। शनि साढ़े साती के तीन चरण होते हैं जिनमें हर चरण की अवधि ढाई साल की होती है। इन तीनों चरणों में शनि साढ़े साती का दूसरा चरण सबसे कष्टदायी माना जाता है।
17 जनवरी 2023 को जब शनि देव राशि परिवर्तन करके कुंभ राशि में आएंगे तो मिथुन राशि, तुला राशि और धनु राशि सबसे ज्यादा फायदे में रहेंगी। इनके रूके हुए कार्य दोबारा से प्रारंभ हो जाएंगे। नौकरी का प्रस्ताव मिल सकता है। धन-दौलत, सुख-समृद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि होगी। सेहत बेहतर रहेगी।
मिथुन राशि वालों को स्वास्थ्य लाभ हासिल होगा। आर्थिक लाभ भी हासिल होंगे और अटके हुए काम बनने लगेंगे।
तुला राशि वालों को काफी राहत मिलेगी यश और मान मिलेगा। प्रमोशन के योग बनेंगे। आर्थिक लाभ होंगे। नया वाहन या फ्लैट भी खरीद सकते हैं।
धनु राशि वालों के भी अटके हुए प्रोजेक्ट सिरे चढ़ने लगेंगे। कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ेगा। इनकम का कोई नया सोर्स भी बनेगा। प्रमोशन का योग बनेगा और कोर्ट-कचहरी में अगर कोई मामला चल रहा है तो निर्णय आपके पक्ष में आने की पूरी संभावना है।
शनि की साढ़ेसाती झेल रहे मकर और कुंभ राशि वालों को भी शनिदेव के राशि बदलने पर विशेष फल प्राप्त होंगे। अगर विदेश यात्रा के लिए प्रोफाइल लगाई है तो विदेश जाने का सपना साकार हो सकता है। विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थियों की मुराद भी पूरी होगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। प्रमोशन या फिर कोई नया दायित्व मिल सकता है, जिससे मकर और कुंभ राशि वालों का रुतबा बढ़ेगा।
शनि के राशि परिवर्तन से कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी । इससे इन राशि वालों को थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक स्थिति और सेहत प्रभावित हो सकती है। लव लाइफ भी प्रभावित हो सकती है।
इसलिए शनि की कृपा पाने के इन राशि वालों को इस मंत्र का जाप करना चाहिए- ॐ शं शनैश्चराय नमः
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। प्रत्येक शनिवार शनिदेव का दान करें। इस दौरान कमजोर व्यक्तियों का अपमान न करें। जरूरमंद व्यक्तियों की मदद करें। काली चीजों का दान करें और अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
गुरमीत बेदी
9418033344