Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jan, 2023 07:38 AM
शनिदेव ने कल 17 जनवरी 2023 को मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में गोचर कर लिया है। अब यह पूरा साल यहीं पर रहने वाले हैं। 14 फरवरी को शनि फिर से अस्त होंगे क्योंकि कुंभ रशि में
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Shani transit January 2023 Tula rashi: शनिदेव ने कल 17 जनवरी 2023 को मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में गोचर कर लिया है। अब यह पूरा साल यहीं पर रहने वाले हैं। 14 फरवरी को शनि फिर से अस्त होंगे क्योंकि कुंभ रशि में सूर्य का गोचर आरंभ हो जाएगा। 1 महीने तक अस्त रहकर 17 मार्च को फिर से उदय अवस्था में आ जाएंगे। शनि 17 जून को पुन: वक्री अवस्था में आएंगे। 4 नवंबर को मार्गी होंगे। 1 महीने तक किसी भी तरह का शुभ-अशुभ फल प्राप्त नहीं होगा। इसके बाद शनि वक्री अवस्था में आएंगे, उस दौरान भी शनि कमजोर हो जाते हैं। उसका फल भी पूर्ण रुप से प्राप्त नहीं हो पाएग। बाकी के महीनों में वो अपनी मूल त्रिकोण राशि में रहकर गोचर करेंगे। आपकी कुंडली के हिसाब से ही अच्छा-बुरा प्रभाव मिलेगा। अष्टक वर्ग के हिसाब से आपकी कुंडली कैसी रहेगी आइए जानें
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तुला राशि के हिसाब से यह गोचर अच्छा रहने वाला है। हालांकि पंचम में यह गोचर अच्छा नहीं होता, ये भाव त्रिकोण का भाव है। शनि 3, 6, 11 में अच्छा फल करते हैं। ये आपकी कुंडली के पंचम में आ रहे हैं इसलिए अच्छा है क्योंकि शनि की ढैया खत्म हो रही है। तुला राशि के लिए शनि योगाकारक ग्रह है। ये ग्रह सामान्यतौर पर किसी का बुरा नहीं करते लेकिन आमतौर पर जहां पर शनि की दृष्टि जाती है, उन चीजों के प्रभाव में नकारात्मकता आ ही जाती है।
इसके बाद कुंडली में दशा कौन सी चल रही है, इस पर निर्भर करता है। यदि भाग्येश की दशा चल रही है, पंचम की या केंद्र के ग्रहों की दशा चल रही है तो शायद इसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि शनि की ही दशा चल रही है, अंतर्दशा चल रही है और शनि कुंडली में खराब हैं या 6, 8, 12 की दशा चल रही है। शनि उसमें भी खराब हैं तो वो आपके काम खराब कर सकता है। यह स्थिती समझनी पड़ेगी। शनि पंचम भाव में आ जाएंगे, चौथे में बैठे थे तो छठे को देख रहे थे। छठा भाव होता है रोग, ऋण और शत्रु का। वहां से शनि की दृष्टि हटी तो तीन चीजों से मुक्ति मिल सकती है। यदि पिछले दो से ढाई वर्ष में किसी को धन उधार दिया थ तो वो वापिस मिलने के योग बन जाएंगे। कर्ज के दलदल से मुक्त होंगे। फिजिकल प्रॉब्लम से राहत मिलेगी।
जब शनि चौथे भाव में बैठते हैं तो सीधी दृष्टि जाती है दशम भाव पर। दशम भाव कारोबार और जॉब का स्थान है। जो चीजे यहां पर मध्यम चल रही थी वो अब गति पकड़ेंगी। मान-सम्मान की प्रप्ति होगी।
शनि की दसवीं दृष्टि आपके लग्न पर थी यानी चन्द्रमा पर पड़ रही थी। आज का काम कल पर नहीं टालेंगे। सुस्ती खत्म होगी। शनि का प्रभाव केंद्र के घरों पर नहीं रहा। वर्तमान समय में शनि पंचम में गोचर कर रहे हैं। ये भाव उनके लिए है जो दंपत्ति संतान प्लान कर रहे हैं, स्टेट ऑफ माइंड और ऊच्च शिक्षा। संतान से संबंधित मामलों में थोड़ी दिक्कत हो सकती है क्योंकि शनि वहीं पर बैठे हैं। शादी की बात में ढिले हो सकते हैं।
शनि की सातवीं दृष्टि 11 वें भाव में जा रही है। 11 वां भाव बड़े भाई और इच्छाओं की पूर्ती का भाव है। जीवन के सभी फायदे यहीं से मिलते हैं, जो थोड़े स्लो हो सकते हैं।
शनि की दसवीं दृष्टि धन स्थान पर पड़ेगी। यहां से वाणी, फ्रेंड सर्कल और कुटुंब का भाव देखा जाता है। ड्रिंक करना अथवा किसी भी नशे का सेवन समस्याएं पैदा करेगा। मुंह, दांतों से संबंधित कोई रोग हो सकता है।
उपाय- शनि की दशा या अंतर्दशा चल रही है तो ये उपाय करें-
7 शनिवार छाया पात्र दान करें।
शनिवार को काले तिल या उड़द शाम के समय शनि मंदिर में दान करें।
नरेश कुमार
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