क्यों लिया भगवान गणेश ने लंबोदर अवतार ?

Edited By Jyoti,Updated: 03 Apr, 2019 04:23 PM

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शास्त्रों में भगवान गणेश के कई अवतारों के बारे में वर्णन मिलता है। इनमें से एक है इनका लंबोदर अवतार। वैसे तो गणेश जी के सारे ही स्वरूप मनमोहक माने जाते हैं परंतु ये अवतार अधिक मनमोहक और लुभाना माना जाता है।

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शास्त्रों में भगवान गणेश के कई अवतारों के बारे में वर्णन मिलता है। इनमें से एक है इनका लंबोदर अवतार। वैसे तो गणेश जी के सारे ही स्वरूप मनमोहक माने जाते हैं परंतु ये अवतार अधिक मनमोहक और लुभाना माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु और भगवान शंकर की ही तरह इन्होंने भी असुरी शक्तियों व दानवों का विनाश करने के लिए ही विभिन्न अवतार लिए थे। इनके लंबोदर अवतार के बारे में भी कुछ ऐसा ही कहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि इनके इस अवतार से जुड़ी प्रचलित कथा-
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मुद्गल पुराण के मुताबिक बात प्राचीन समय में अंधकासुर नामक एक असुर था, जिसने अपनी कठिन तपस्या से भगवान सूर्य को प्रसन्न करके उनसे वरदान प्राप्त किया कि उसे तीनों लोकों में कोई पराजित भी न कर सके। इसके बाद अंधकासुर अपने गुरु शुक्राचार्य के पास गया और उनसे से आशीर्वाद पाकर तीनों लोकों पर विजय पाने के लिए निकल गया। थोड़ी ही देर में उसने अपनी पार सेना के साथ देवताओं पर आक्रमण कर दिया। समस्त देवताओं ने उसका मुकाबला करने की पूरी कोशिश की लेकिन वे उसे हरा पाने में असफल हुए।
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अंधकासुर ने सभी देवताओं को उनके साम्राज्य से बाहर निकाल दिया और स्वर्ग की राजगद्दी को भी अपने वश में कर लिया। इससे इंद्र सहित सभी देवता परेशान हो गए और फिर उन्होंने विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना की। जिसके बाद भगवान गणेश अपने लंबोदर स्वरूप में देवताओं के सामने प्रकट हुए। जब देवताओं ने उनकी व्यथा को सुनकर अधिक गुस्से में आ गए। फिर क्रोधित लंबोदर रूपी भगवान गणेश के अंधकासुर के पास गए और उसे युद्ध के लिए ललकारा। जिसके बाद दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ।
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उधर देवतागण भी असुरों का संहार करने में जुटे हुए थे। देखते ही देखते क्रोधासुर के बड़े-बड़े योद्धा मूर्छित होकर ज़मीन पर गिरने लगे। यह देखकर असुर अंधकासुर दुखी होकर लंबोदर के चरणों में गिर गया और भक्ति-भाव से उनकी स्तुति करने लगा। जिसके बाद लंबोदर ने उसे अभयदान दे दिया। जिसके बाद क्रोधासुर ने भगवान लंबोदर का आशीर्वाद पाकर अपना बाकी का जीवन शांति से पाताल लोक बिताया। कहते हैं कि इस घटना के बाद भगवान गणेश के लंबोदर अवतार की पूजा होने लगी।
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