INTERVIEW: रिश्तों की गहराई और भावनाओं से भरी एक संवेदनशील यात्रा है‘कालीधर लापता’

Updated: 01 Jul, 2025 12:50 PM

abhishek bachchan exclusive interview for kalidhar laapata

अभिषेक बच्चन ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। ZEE5 पर अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म ‘कालीधर लापता’ 4 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म दर्शकों को रिश्तों की गहराई और इंसानी भावनाओं की खूबसूरती से रूबरू कराएगी। फिल्म का निर्देशन मधुमिता ने किया है और यह उनकी चर्चित तमिल फिल्म KD (Karuppu Durai) की आधिकारिक हिंदी रीमेक है। कहानी एक ऐसे रहस्यमय शख्स कालीधर की है, जो अचानक लापता हो जाता है। यह मुख्य किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया है, जिनके साथ 8 वर्षीय बाल कलाकार दैविक बाघेला भी अहम भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म के बारे में निर्देशक मधुमिता और अभिनेता अभिषेक बच्चन ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

निर्देशक मधुमिता

प्रश्न 1: ‘कालीधर’ की कहानी बहुत ही सरल लेकिन भावनात्मक है। इस किरदार को आपने कैसे गढ़ा?
मधुमिता: मेरे लिए सबसे ज़रूरी था कि कालीधर का किरदार एकदम सच्चा और ईमानदार लगे। चूंकि फिल्म की कहानी बहुत सरल है, इसलिए इसमें कोई बनावटीपन नहीं होना चाहिए। ये कहानी एक अनोखे रिश्ते पर आधारित है — कालीधर और बल्लू के बीच। इसलिए मैंने कोशिश की कि इसे पूरी तरह नेचुरल रखा जाए।

प्रश्न 2: इस फिल्म को बनाने का विचार कहां से आया?
मधुमिता: जब हमने इसे हिंदी में बनाने की सोची, तब M.A. प्रोडक्शन के प्रोड्यूसर ने साथ देने की पेशकश की। पहले मैं इसे तमिल में बनाना चाहती थी, लेकिन ‘कुंभ मेला’ जैसे भारतीय कॉन्सेप्ट दक्षिण भारतीय संस्कृति से मेल नहीं खाते। इसलिए हिंदी में बनाना ज्यादा स्वाभाविक लगा। हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है, लेकिन विभूति, अमितोष और पूरी टीम ने मुझे डायलॉग और लोकल टच में मदद की।

प्रश्न 3: फिल्म का म्यूजिक खासकर ‘हंस के जाने दे’ बहुत इमोशनल है। इसकी प्रेरणा कहां से मिली?
मधुमिता: पिछले कुछ सालों में मैंने एक बात सीखी है “लेट इट गो”। ये लाइन मेरी 8 साल की भतीजी से आई, जब वो ‘Frozen’ का गाना गा रही थी। यही भावना फिल्म में भी है, जब कालीधर को बालू को अलविदा कहना पड़ता है। ये एक निस्वार्थ प्रेम है।

प्रश्न 4: सपोर्टिंग कास्ट को लेकर आपकी क्या राय है?
अभिषेक बच्चन: फिल्म को असली बनाने में सपोर्टिंग कास्ट का बड़ा योगदान है। विश्‍वनाथ चटर्जी और ज़ीशान जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों में इतनी सच्चाई डाली कि दर्शक खुद को उसी दुनिया में महसूस करते हैं।

अभिषेक बच्चन 

प्रश्न 1: आपने ‘कालीधर’ के किरदार के लिए खुद को कैसे तैयार किया?
अभिषेक बच्चन: सच कहूं तो मुझे बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, क्योंकि मधुमिता ने स्क्रिप्ट बहुत अच्छे से तैयार की थी। मैं समय पर पहुंचता था, अपनी लाइनें याद करता था और बाकी सब कुछ मधुमिता के ऊपर छोड़ देता था। रिहर्सल्स की मदद से हम अपने किरदारों में पूरी तरह घुलमिल गए।

प्रश्न 2: फिल्म में बाल कलाकार का प्रदर्शन बहुत सराहनीय है। उसके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
अभिषेक बच्चन: वह बच्चा कमाल का है! उसकी मासूमियत और एक्टिंग ने मुझे कई बार इमोशनल कर दिया। हर सीन में एक गहराई थी, और उसके साथ काम करना मेरे लिए एक बहुत ही खूबसूरत अनुभव रहा।

प्रश्न 3: फिल्म में आपने कई भावनात्मक दृश्य निभाए हैं, कोई खास अनुभव बताना चाहेंगे?
अभिषेक बच्चन: एक सीन था जिसमें मेरे किरदार को अपने छोटे भाइयों से अपमानित किया जाता है, जिनके लिए वो सब कुछ छोड़ देता है। हम ओरछा में रात 2-3 बजे शूटिंग कर रहे थे, ठंड इतनी थी कि मैं कांप रहा था। उसी हालत में मैंने शॉट दिया और सभी ने कहा “वाह सर, आपने क्या सीन किया है!”

प्रश्न 4: इस फिल्म में आपको सबसे खास क्या लगा?
अभिषेक बच्चन: कालीधर और बल्लू का रिश्ता सबसे खास लगा। हालांकि उम्र और कद में काफी अंतर है, लेकिन दोनों के बीच बराबरी का रिश्ता है। कालीधर बालू को बच्चे की तरह ट्रीट नहीं करता और बालू भी उसे बड़े की तरह नहीं देखता। ये दोस्ती जैसा रिश्ता है, जो मुझे बेहद प्यारा लगा।

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