Edited By Yaspal,Updated: 09 Sep, 2024 10:03 PM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के बाद राजस्व संग्रह छह माह में 412 प्रतिशत बढ़ गया है। ऑनलाइन गेमिंग पर एक अक्टूबर, 2023 से 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया लगाया गया था
नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के बाद राजस्व संग्रह छह माह में 412 प्रतिशत बढ़ गया है। ऑनलाइन गेमिंग पर एक अक्टूबर, 2023 से 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया लगाया गया था। सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 28 प्रतिशत जीएसटी के कार्यान्वयन के छह महीने बाद कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ से राजस्व संग्रह के बारे में स्थिति रिपोर्ट परिषद को सौंपी गई। उन्होंने कहा, ‘‘केवल छह महीनों में ऑनलाइन गेमिंग से राजस्व 412 प्रतिशत बढ़कर 6,909 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। छह महीने की अवधि में 6,909 करोड़ रुपये की यह राशि अर्जित की गई है। ऑनलाइन गेमिंग पर अधिसूचना जारी होने से पहले यह 1,349 करोड़ रुपये थी।'' ऑनलाइन गेमिंग मंच और कसीनो पर एक अक्टूबर, 2023 से लगाये गये प्रवेश स्तर के दांव पर 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है।
इससे पहले, कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही थीं। उनका यह तर्क था कि कौशल के खेल और किस्मत के खेल के लिए कर की दरें अलग-अलग थीं। जीएसटी परिषद ने अगस्त, 2023 में अपनी बैठक में स्पष्ट किया था कि ऑनलाइन गेमिंग मंचों को 28 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा। बाद में कराधान प्रावधान को स्पष्ट करने के लिए केंद्रीय जीएसटी कानून में संशोधन किया गया था। विदेशी गेमिंग मंचों के लिए भी जीएसटी अधिकारियों के पास पंजीकरण करना और करों का भुगतान करना अनिवार्य किया गया। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार वैसी साइट को ब्लॉक कर देगी।
परिषद ने तब निर्णय लिया था कि इसके क्रियान्वयन के छह महीने बाद ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर कराधान की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह कसीनो के मामले में फैसला लेने के बाद छह महीने में राजस्व 30 प्रतिशत बढ़कर 214 करोड़ रुपये हो गया। फैसले से पहले यह 164.6 करोड़ रुपये था। सीतारमण ने कहा कि रियल एस्टेट पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने भी अपनी स्थिति रिपोर्ट सौंपी है। जीएसटी परिषद ने सरकारी या निजी अनुदान का उपयोग करने वाली सरकारी इकाई, अनुसंधान इकाई, विश्वविद्यालय, कॉलेज या अन्य संस्थानों के अनुसंधान और विकास सेवाओं की आपूर्ति को छूट देने की सिफारिश की है।