Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Nov, 2025 12:30 PM

अगर एक पल के लिए सोच लें कि पूरी दुनिया परमाणु विस्फोट से तबाह हो जाए—शहर राख हो गए हों, हवा जहरीली हो गई हो और जमीन जलकर कोयले में बदल गई हो। अधिकांश बड़े जीव और इंसान रेडिएशन, गर्मी और धमाके के कारण तुरंत समाप्त हो जाते हैं। पृथ्वी पर जीवन...
नेशनल डेस्क: अगर एक पल के लिए सोच लें कि पूरी दुनिया परमाणु विस्फोट से तबाह हो जाए—शहर राख हो गए हों, हवा जहरीली हो गई हो और जमीन जलकर कोयले में बदल गई हो। अधिकांश बड़े जीव और इंसान रेडिएशन, गर्मी और धमाके के कारण तुरंत समाप्त हो जाते हैं। पृथ्वी पर जीवन नाममात्र का भी निशान नहीं बचा। लेकिन इसी बर्बादी और मौत के बीच, एक छोटा-सा जीव है जो न गर्मी से झुलसे, न रेडिएशन से मरे और न पूरी दुनिया के विनाश से प्रभावित हुआ -और वह जीव है कॉकरोच। यह मामला वैज्ञानिकों के लिए भी हैरान कर देने वाला है। यह सवाल कि कैसे यह छोटा जीव इतनी तबाही में भी बच गया, लंबे समय तक शोधकर्ताओं का ध्यान खींचता रहा।
द्वितीय विश्व युद्ध और कॉकरोच की जंग
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर जब परमाणु बम गिराए गए, तब वहां की स्थिति ऐसी थी कि इंसान और अधिकांश बड़े जीव पल भर में खत्म हो गए। लेकिन वैज्ञानिकों के सर्वे में पाया गया कि कॉकरोच बड़ी संख्या में जिंदा थे। यह दृश्य खुद में चौंकाने वाला था- एक जीव जो इंसानों के लिए मौत की गारंटी था, उस विनाश के बावजूद बच गया।
कॉकरोच को रेडिएशन से सुरक्षा कैसे मिली
वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को समझने की कोशिश की। उनके निष्कर्ष बताते हैं कि कॉकरोच की शरीर संरचना और कोशिकाओं की विशेषताएं उन्हें रेडिएशन के घातक प्रभाव से बचाती हैं। इंसानों में कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं, जिससे रेडिएशन का असर तुरंत घातक होता है। कॉकरोच में यह प्रक्रिया बेहद धीमी है-लगभग हफ्ते में एक बार-इसलिए रेडिएशन उनके लिए इतना खतरनाक नहीं। इसके अलावा, इंसानों की तुलना में कॉकरोच रेडिएशन को असाधारण रूप से सहन कर सकते हैं। जबकि इंसान 800 रैड तक का रेडिएशन भी झेल नहीं पाता, कॉकरोच 10,000 रैड तक इसे बर्दाश्त कर सकता है।
विस्फोट और गर्मी की चुनौती
वैज्ञानिक बताते हैं कि परमाणु बम का सबसे घातक असर रेडिएशन नहीं, बल्कि विस्फोट के तुरंत बाद फैलने वाली भयंकर गर्मी और ऊर्जा है। इसलिए बम के बिल्कुल पास रहने वाले कॉकरोच मारे गए। लेकिन थोड़ी दूरी पर मौजूद कॉकरोच ने इस गर्मी को झेला और रेडिएशन को मात दे दी, जिससे वे जिंदा रह गए।
जापान की तबाही में भी जीवित
जापान में हुए परमाणु हमलों के दौरान गामा रेडिएशन का स्तर 10,300 रैड तक पहुंच गया था। यह इंसानों के लिए निश्चित मृत्यु का पैगाम था, लेकिन कॉकरोच ने इसे भी सहन कर लिया। वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर पृथ्वी पर कभी पूरी तरह की कयामत आ जाए, तो यही छोटे जीव सबसे लंबे समय तक बचेंगे।