कांवड़ यात्रा मार्ग पर चला नाम का खेल, 'नीलकंठ फैमिली ढाबा' की सच्चाई ने सबको चौंकाया, प्रशासन ने दिए दो विकल्प

Edited By Updated: 10 Jul, 2025 02:07 PM

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मुरादाबाद-लखनऊ हाईवे पर एक बार फिर ढाबे की पहचान छिपाकर संचालन किए जाने का मामला सामने आया है। थाना मुंडापांढे क्षेत्र अंतर्गत 'नीलकंठ फैमिली ढाबा' के नाम से चल रहे इस ढाबे की असलियत तब उजागर हुई जब फूड सेफ्टी विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची।

नेशनल डेस्क : मुरादाबाद-लखनऊ हाईवे पर एक बार फिर ढाबे की पहचान छिपाकर संचालन किए जाने का मामला सामने आया है। थाना मुंडापांढे क्षेत्र अंतर्गत 'नीलकंठ फैमिली ढाबा' के नाम से चल रहे इस ढाबे की असलियत तब उजागर हुई जब फूड सेफ्टी विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची। जांच में खुलासा हुआ कि इस ढाबे का मालिक कोई और नहीं बल्कि शराफत हुसैन नाम का व्यक्ति है।

कांवड़ यात्रा मार्ग पर हो रही थी सख्त जांच
यह मार्ग सावन माह में कांवड़ यात्रा का प्रमुख मार्ग होता है। बरेली तक यात्रा करने वाले कांवड़िए इसी रास्ते से गुजरते हैं। फूड सेफ्टी विभाग के सहायक आयुक्त राजवंश श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ हाईवे पर स्थित सभी होटलों और ढाबों की गुणवत्ता व असली पहचान की जांच कर रहे थे। इस दौरान 'FOOD SAFETY CONNECT APP' के जरिए सभी प्रतिष्ठानों का डेटा इकट्ठा कर वहां स्टिकर चिपकाया जा रहा था।

लाइसेंस जांच में सामने आया नाम
जब टीम 'नीलकंठ फैमिली ढाबा' पर पहुंची और लाइसेंस मांगा गया, तो दस्तावेज़ों में मालिक का नाम शराफत पुत्र छुट्टन पाया गया। ढाबे का नाम धार्मिक भावना से जुड़ा ‘नीलकंठ’ होने के कारण इस बात को लेकर सवाल उठने लगे कि धार्मिक नाम की आड़ में असल पहचान क्यों छुपाई गई।
जांच के दौरान जब मालिक की पहचान उजागर हुई, तो ढाबा संचालक शराफत हुसैन अधिकारी के सामने गिड़गिड़ाने लगा और कहा कि वह जल्द ही ढाबे का नाम बदल देगा। अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए FOOD SAFETY CONNECT APP का स्टिकर ढाबे पर चिपका दिया, जिसमें मालिक की असली पहचान स्पष्ट की गई।

दो विकल्प: नाम बदलें या ढाबा बंद करें
फूड सेफ्टी विभाग के सहायक आयुक्त राजवंश श्रीवास्तव ने बताया कि ढाबे का रजिस्ट्रेशन मौजूद है, लेकिन नाम और असली पहचान में अंतर पाया गया। इसलिए संचालक को सख्त चेतावनी दी गई है कि या तो वह ढाबे का नाम बदल दे या फिर उसे बंद कर दे। यह पूरी कार्रवाई मुख्यमंत्री के निर्देशों के अंतर्गत की गई है, जिनके अनुसार धार्मिक आस्थाओं से जुड़े नामों की आड़ में किसी भी प्रकार की गुमराह करने वाली गतिविधियों पर सख्ती बरती जा रही है।

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