Edited By Anil dev,Updated: 07 Dec, 2018 12:49 PM
जो लोग अपने स्मार्टफोन्स को नीचे रखना गवारा नहीं करते, वे यह जानकर कि उसमें कितने कीटाणु होते हैं, डर कर उन्हें फैंक भी सकते हैं। एक अध्ययन में खुलासा किया गया है कि एक औसत मोबाइल फोन एक टायलैट सीट के मुकाबले लगभग 7 गुणा अधिक गंदा होता है।
नई दिल्ली: जो लोग अपने स्मार्टफोन्स को नीचे रखना गवारा नहीं करते, वे यह जानकर कि उसमें कितने कीटाणु होते हैं, डर कर उन्हें फैंक भी सकते हैं। एक अध्ययन में खुलासा किया गया है कि एक औसत मोबाइल फोन एक टायलैट सीट के मुकाबले लगभग 7 गुणा अधिक गंदा होता है। इसके लिए स्कैन की गई एक टायलैट सीट में 220 चमकदार बिन्दू दिखाई दिए जहां बैक्टीरिया मौजूद थे लेकिन एक औसत मोबाइल फोन में ऐसे ही बैक्टीरिया की संख्या 1479 थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन में बैक्टीरियोलॉजी के सेवानिवृत्त प्रो. ह्यू पेनिंगटन ने कहा कि एक स्मार्टफोन को पोंछना लगभग ऐसे ही है जैसे अपने रुमाल को कीटाणुओं के लिए जांचना। आपको उस पर जीवाणु मिलने की पूरी सम्भावना होती है क्योंकि दिन में कई बार आप फोन को अपने शारीरिक सम्पर्क में लाते हैं।
उन्होंने कहा कि साल के सर्दियों के इस समय फोन्स पर ‘नोरोवायरस’ (उल्टियों के लिए जिम्मेदार) होंगे लेकिन स्मार्टफोन्स पर इस्तेमालकत्र्ता के खुद अपने बैक्टीरिया होंगे इसलिए बीमारी किसी अन्य व्यक्ति तक हस्तांतरित होने की सम्भावना कम होती है। फूड प्वाइजनिंग तथा पेट के कीड़ों का कारण 2011 में लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन एंड ट्रोपिकल मैडीसिन के वैज्ञानिकों ने पाया कि 6 में से एक मोबाइल फोन मल पदार्थ से दूषित था, जिसमें इ-कोली बग भी शामिल था जो फूड प्वाइजनिंग तथा पेट में कीड़ों का कारण बनता है।
पिछले वर्ष उपभोक्ता की सुरक्षा करने वाली एक संस्था, जिसने 30 फोनों की जांच की, ने निष्कर्ष निकाला कि एक पर बैक्टीरिया स्तर से कहीं अधिक थे और अपने मालिक को पेट की गम्भीर बीमारी देने में सक्षम थे। नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि चमड़े के केस में रखे जाने वाले स्मार्टफोन्स पर बैक्टीरिया की संख्या सबसे अधिक होती है, जिसका इस्तेमाल वालेट के तौर पर भी किया जाता है।