Mahashivratri: महाशिवरात्रि की रात करें ये काम, भोले बाबा भरेंगे भंडार

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Mar, 2024 06:44 AM

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हिन्दु पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है

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Mahashivratri 2024:  हिन्दु पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शंकर एवं माता पार्वती जी का विवाह हुआ था। इस शुभ दिन पर महादेव के भक्त अलग-अलग तरह से भगवान को प्रसन्न करने के लिये पूजा करते हैं ताकि उन पर शिव जी की कृपा बनी रहे। इस दिन विशेष रूप से व्रत भी रखा जाता है। इस दौरान एक ऐसा भी योग बन रहा है, जिससे भगवान शिव की आराधना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का मिल सकता है आशिर्वाद। वह शत्रु चाहे इन्सान हो या रोग रूपी कोई शारीरिक शत्रु।

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महाशिवरात्रि का पर्व शुक्रवार 8 मार्च 2024 को मनाया जाएगा।
निशिता काल पूजा का समय-
9 मार्च को 12:09 ए.एम से 12:58 ए.एम तक रहेगा।
9 मार्च को शिवरात्रि का पारण समय- 06:40 ए.एम से लेकर 03:30 पी.एम तक रहेगा।
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:26 पी.एम से 09:30 पी.एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 9 मार्च 09:30 पी.एम से 12:33 ए.एम तक रहेगा।
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 9 मार्च 12:33 ए.एम से 03:37 ए.एम तक रहेगा।
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 9 मार्च 03:37 ए.एम से 06:40 ए.एम तक रहेगा।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 08, 2024 को 09:57 पी.एम बजे तक है।
चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 09, 2024 को 06:17 पी.एम बजे तक है।

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फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि को वर्ष की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण शिवरात्रि मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान इत्यादि करके व्रत रखना चाहिए। पंचोपचार या षोडशोपचार से शिव जी का रूद्राभिषेक करना चाहिए। पंचोपचार से तात्पर्य पांच वस्तुओं और षोडशोपचार से सोलह तरह की वस्तुओं से है। रूद्राभिषेक के पश्चात भगवान शिव और माता पारवती को चावल, पान, सुपारी, रोली, मोली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, घतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा, फल, माता पार्वती के लिये चुनरी और श्रृंगार अर्पण करना चाहिए। इसके पश्चात शिव जी के कई प्रकार के मंत्र हैं जो भी आपको सही लगे उस मंत्र का जाप करना चाहिए। जिसे भगवान शिव से निरोगी काया का आर्शीवाद चाहिए उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इसी तरह से अलग-अलग मंत्रो का अलग-अलग प्रभाव होता है। तो जिसे जिस वस्तु की प्राप्ति की इच्छा है उसे वैसा ही मंत्र का जाप करना चाहिए। अंत में शिव जी और माता पार्वती की आरती करनी चाहिए एवं यथाशक्ति जरूरतमंदों को दान इत्यादि अवश्य देना चाहिए।

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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