Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Nov, 2023 09:16 AM
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देवता को ग्रहों का राजकुमार कहते हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य सही रहता है और मान-सम्मान में भी वृद्धि देखने को मिलती
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Vrishchika Sankranti: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देवता को ग्रहों का राजकुमार कहते हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य सही रहता है और मान-सम्मान में भी वृद्धि देखने को मिलती है। सूर्य पूजा के लिए संक्रांति को सबसे खास दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। बता दें इस समय सूर्य देवता तुला राशि में विराजमान हैं और कुछ दिनों बाद वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार इस दिया किया गया दान-पुण्य दोगुना फल प्रदान करता है। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कार्तिक मास में किस दिन वृश्चिक संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा और पूजा का समय।
Vrishchik sankranti date वृश्चिक संक्रांति तिथि
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में वृश्चिक संक्रांति 17 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 6 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक पुण्य काल है। सूर्य देव की विशेष कृपा पाने के लिए ये समय बहुत खास है। इसी के साथ महा पुण्य काल सुबह 6 बजकर 45 मिनट से लेकर 8 बजकर 32 मिनट तक है।
Surya Rashi Parivartan सूर्य राशि परिवर्तन
ज्योतिष गणना के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की रात 1 बजकर 18 मिनट पर सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद 20 नवंबर के दिन अनुराधा और 3 दिसंबर को ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके पश्चात 16 दिसंबर को सूर्य देव धनु राशि में गोचर करेंगे।
Pooja Vidhi पूजा विधि
सबसे पहले संक्रांति के दिन सुबह उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद संक्रांति के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। सुबह-सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें:
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
संक्रांति के दिन सूर्य चालीसा और कवच का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इसके बाद अगर हो सके तो अपनी क्षमता अनुसार दान करें।