15 की उम्र में RSS, ना जीता कोई चुनाव, फिर भी सीधे संसद भेज रही है बीजेपी,जानें कौन है ये नेता

Edited By Anu Malhotra,Updated: 29 Apr, 2025 11:28 AM

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आंध्र प्रदेश की सियासत में एक दिलचस्प मोड़ आया है, जहां भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए वेंकट सत्यनारायण को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। खास बात यह है कि सत्यनारायण ने भले ही कभी कोई चुनाव न जीता हो, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी दशकों...

नेशनल डेस्क:  आंध्र प्रदेश की सियासत में एक दिलचस्प मोड़ आया है, जहां भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए वेंकट सत्यनारायण को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। खास बात यह है कि सत्यनारायण ने भले ही कभी कोई चुनाव न जीता हो, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी दशकों की निष्ठा और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए उन्हें यह अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। वाईएसआर कांग्रेस के नेता वी. विजयसाई रेड्डी के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर 9 मई को मतदान प्रस्तावित है, लेकिन मैदान में किसी अन्य उम्मीदवार की गैरमौजूदगी से सत्यनारायण का निर्विरोध उच्च सदन तक पहुंचना लगभग तय माना जा रहा है।

वेंकट सत्यनारायण का नाम सामने आने से पहले कई बड़े नामों की अटकलें लगाई जा रही थीं- जैसे कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी या तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई। मगर अंतिम फैसला पार्टी ने अपने पुराने, भरोसेमंद और जमीनी कार्यकर्ता के पक्ष में लिया।

सत्यनारायण का संबंध ओबीसी वर्ग के गौड़ समुदाय से है, और भाजपा इस चयन को सामाजिक संतुलन की दिशा में एक सशक्त कदम मान रही है। पार्टी सूत्रों का मानना है कि इससे राज्य में पिछड़े वर्गों में सकारात्मक संदेश जाएगा। सत्यनारायण लंबे समय से भाजपा की विचारधारा से जुड़े रहे हैं और विभिन्न स्तरों पर संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाते रहे हैं। वे कई बार भाजपा के घोषणापत्र समितियों का भी हिस्सा रह चुके हैं।

राजनीतिक सफर की शुरुआत उन्होंने मात्र 15 वर्ष की उम्र में की थी, जब वे 1976 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। इसके बाद छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से होते हुए वे भाजपा में सक्रिय हुए। 1980 से भाजपा के साथ उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और वे भीमावरम के नगर महासचिव, जिला सचिव, काउंसलर और विधानसभा संयोजक जैसे अहम पदों पर रहे। भले ही वे 1996 के लोकसभा और 2006 के एमएलसी चुनावों में जीत दर्ज न कर पाए हों, लेकिन संगठन के प्रति उनकी निष्ठा में कभी कोई कमी नहीं आई।

भाजपा में उनकी छवि एक ऐसे जमीनी नेता की रही है जो कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ाव रखते हैं और संगठन को मजबूती देने में वर्षों से जुटे हैं। पार्टी को विश्वास है कि वे राज्यसभा में एक संतुलित और अनुभवी आवाज बनकर उभरेंगे, जो आंध्र प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा की नीतियों और दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेंगे।

 

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