PAK के लड़ाकू विमानों की नींद हराम करेगी 'गांडीव': भारत की सबसे लंबी रेंज की मिसाइल तैयार

Edited By Radhika,Updated: 09 Jun, 2025 11:19 AM

gandeev will give sleepless nights to pak fighter jets

भारत अपनी हवाई युद्ध क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है। IAF और DRDO मिलकर जल्द ही एक नई और अत्यधिक उन्नत मिसाइल 'गांडीव' का परीक्षण करने वाले हैं। इस मिसाइल को आधिकारिक तौर पर अस्त्र Mk-III के नाम से जाना जाएगा।

नेशनल डेस्क: भारत अपनी हवाई युद्ध क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है। IAF और DRDO मिलकर जल्द ही एक नई और अत्यधिक उन्नत मिसाइल 'गांडीव' का परीक्षण करने वाले हैं। इस मिसाइल को आधिकारिक तौर पर अस्त्र Mk-III के नाम से जाना जाएगा। यह एक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) है, जो अपनी जबरदस्त क्षमताओं के कारण भारतीय वायु सेना के लिए हवाई युद्ध में एक गेम चेंजर साबित होगी।

गांडीव: नाम, विकास और महत्व

'गांडीव' नाम महाभारत के महान योद्धा अर्जुन के प्रसिद्ध धनुष 'गांडीव' से प्रेरित है, जो इसकी सटीकता और शक्ति का प्रतीक है। इस मिसाइल को विशेष रूप से उच्च गति और अत्यधिक युद्धाभ्यास करने वाले दुश्मन विमानों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें स्टील्थ फाइटर जेट्स, हमलावर बमवर्षक विमान और एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण हवाई लक्ष्य शामिल हैं, जो दुश्मन की युद्ध क्षमता के लिए रीढ़ की हड्डी होते हैं।

गांडीव की सबसे बड़ी खासियत इसका सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) इंजन है। इसके पुराने संस्करण, जैसे अस्त्र Mk-1 (रेंज 80-110 किलोमीटर) और Mk-2 (रेंज 140-160 किलोमीटर), पारंपरिक रॉकेट मोटर पर निर्भर करते थे। वहीं, गांडीव की SFDR प्रणाली वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग करती है, जिससे मिसाइल न केवल हल्की होती है बल्कि अधिक कुशल भी बनती है। यह तकनीक इसे मच 5 (लगभग 3700 मील प्रति घंटा या 5370 किलोमीटर प्रति घंटा) से भी अधिक की अविश्वसनीय गति से दुश्मन की ओर बढ़ने में सक्षम बनाती है, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय नहीं मिल पाता।

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गांडीव की अनूठी खासियतें जो इसे बनाती हैं बेजोड़

अभूतपूर्व रेंज: गांडीव की रेंज इसे अपने प्रतिस्पर्धियों से कहीं आगे खड़ा करती है। यह 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर 340 किलोमीटर तक और 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर 190 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है। यह भारतीय वायुसेना को दुश्मन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना ही उन्हें निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करती है।

थ्रस्ट एडजस्टमेंट (थ्रॉटलेबल रैमजेट इंजन): इसका थ्रॉटलेबल रैमजेट इंजन मध्य-उड़ान में थ्रस्ट को बदल सकता है। यह क्षमता मिसाइल के 'नो-एस्केप ज़ोन (NEZ)' को काफी बढ़ा देती है, जिसका अर्थ है कि एक बार जब लक्ष्य मिसाइल के NEZ में आ जाता है, तो उसके बचने की संभावना नगण्य हो जाती है।

अत्यधिक सटीक निशाना: गांडीव में ±10 किलोमीटर की स्नैप-अप/स्नैप-डाउन क्षमता और 20 डिग्री का एंगल ऑफ अटैक है। ये खासियत इसे अत्यधिक युद्धाभ्यास करने वाले दुश्मन विमानों को भी सटीक रूप से निशाना बनाने में सक्षम बनाती हैं, भले ही वे बचाव के लिए पैंतरेबाजी कर रहे हों।

दुश्मन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन: रेंज के मामले में, गांडीव चीन के PL-15 (200-300 किलोमीटर) और पाकिस्तान के AIM-120C AMRAAM (105-120 किलोमीटर) जैसी मिसाइलों से कहीं बेहतर है। यह भारतीय वायुसेना को हवाई श्रेष्ठता प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण बढ़त देगा।

विकास की स्थिति और आगामी परीक्षण

DRDO गांडीव के लिए 'लाइव-फायर' और 'एक्सट्रीम एनवेलप ट्रायल' की तैयारी कर रहा है। इन परीक्षणों में मिसाइल के प्रोपल्शन, गाइडेंस सिस्टम, एयरोडायनामिक्स और अधिकतम रेंज और गति पर लक्ष्यों को इंटरसेप्ट करने की क्षमता का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा।

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दिसंबर 2024 में ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से गांडीव का एक सफल ग्राउंड-बेस्ड लॉन्च किया गया था। इस परीक्षण ने SFDR की कार्यक्षमता, इसमें लगे स्वदेशी एक्टिव रडार सीकर (संभवतः एक AESA डिज़ाइन) और AWACS या लॉन्च प्लेटफॉर्म से मध्य-पाठ्यक्रम मार्गदर्शन अपडेट के लिए दो-तरफा डेटा लिंक की पुष्टि की थी। यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

Su-30MKI पर होगी तैनाती और भविष्य की योजनाएं

Su-30MKI लड़ाकू विमान, जो पहले से ही अस्त्र Mk-1 के साथ एकीकृत है, पर गांडीव के 'कैप्टिव कैरिज ट्रायल' चल रहे हैं। ये परीक्षण मिसाइल को लॉन्च किए बिना विमान के साथ उसकी संगतता सुनिश्चित करते हैं। यह Su-30MKI की भारतीय वायुसेना में महत्व को दर्शाता है, जो भारत का एक प्रमुख लड़ाकू विमान है। भविष्य में, गांडीव को HAL तेजस, मिग-29, राफेल और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जैसे अन्य प्लेटफार्मों पर भी तैनात करने की योजना है, जिससे भारतीय वायुसेना की समग्र हवाई युद्ध शक्ति में जबरदस्त वृद्धि होगी।

'आत्मनिर्भर भारत' का हिस्सा: रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर कदम

'गांडीव' मिशन 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है। यह मिसाइल न केवल क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने में भारत की क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में भी स्थापित करेगी।

अस्त्र Mk-III 'गांडीव' भारतीय वायु सेना के लिए वास्तव में एक 'गेम चेंजर' साबित हो सकती है। इसकी लंबी रेंज, स्टील्थ लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता और अत्यधिक युद्धाभ्यास करने वाले लक्ष्यों को भेदने की क्षमता इसे दुश्मन की मिसाइलों से कहीं बेहतर बनाती है। लाइव-फायर और एक्सट्रीम एनवेलप ट्रायल्स के सफलतापूर्वक पूरा होने के साथ, गांडीव जल्द ही भारतीय वायुसेना की हवाई शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन जाएगा, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित होगी।

 

 

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