जहरीली फंगस से तैयार हुई चमत्कारी दवा, कैंसर को दी सीधी टक्कर, मरीजों को मिली नई उम्मीद

Edited By Updated: 27 Jun, 2025 03:26 PM

medicine made from fungus gave a direct fight to cancer

विज्ञान की दुनिया में एक ऐसा चमत्कार सामने आया है जहाँ कभी खेतों की फसल को बर्बाद करने वाली और बेहद जहरीली मानी जाने वाली एक फंगस अब इंसानी जिंदगियों को नया जीवन देने की उम्मीद बन गई है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं एस्परगिलस फ्लेवस फंगस की जिसे अब...

नेशनल डेस्क। विज्ञान की दुनिया में एक ऐसा चमत्कार सामने आया है जहाँ कभी खेतों की फसल को बर्बाद करने वाली और बेहद जहरीली मानी जाने वाली एक फंगस अब इंसानी जिंदगियों को नया जीवन देने की उम्मीद बन गई है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं एस्परगिलस फ्लेवस फंगस की जिसे अब कैंसर के इलाज में कारगर साबित होने की संभावना जताई जा रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस फंगस से एक खास तत्व निकालकर ऐसा इलाज तैयार किया है जो कैंसर के खिलाफ चल रही जंग में एक बड़ी सफलता साबित हो सकता है।

एस्परगिलस फ्लेवस: जहर से जीवनदायिनी तक का सफर

एस्परगिलस फ्लेवस एक ऐसा फंगस है जो आमतौर पर फसलों में पाया जाता है और 'अफ्लाटॉक्सिन' नाम का बेहद खतरनाक जहर बनाता है। यह जहर मनुष्यों के लीवर और अन्य अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे कई बार जानलेवा बीमारियाँ भी हो जाती हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसी फंगस से एक ऐसा रासायनिक तत्व खोजा है जो कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने की अद्भुत क्षमता रखता है, वो भी बिना स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए। यह खोज विज्ञान के लिए एक बड़ी छलांग मानी जा रही है।

 

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कैसे काम करती है यह नई दवा?

वैज्ञानिकों ने इस फंगस से एक प्राकृतिक यौगिक को अलग किया है, जो ट्यूमर सेल्स यानी कैंसर वाली कोशिकाओं के डीएनए (DNA) में बदलाव कर उन्हें नष्ट कर देता है। इस दवा की सबसे खास बात यह है कि ये प्रक्रिया शरीर की सामान्य कोशिकाओं को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करती, जिससे कैंसर के पारंपरिक इलाज जैसे कीमोथेरेपी में होने वाले भयानक साइड इफेक्ट्स की संभावना भी कम हो जाती है। यह नई दवा फिलहाल प्री-क्लिनिकल ट्रायल के चरण में है, लेकिन इसके शुरुआती नतीजे बेहद आशाजनक हैं।

विज्ञान की एक बड़ी छलांग और भविष्य की उम्मीदें

कैंसर के इलाज में अभी तक मुख्य रूप से कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी जैसे उपाय प्रमुख रहे हैं। लेकिन इन सभी का शरीर पर गहरा और दर्दनाक प्रभाव पड़ता है। अगर यह नई दवा सफल होती है, तो यह कैंसर के इलाज को कम दर्दनाक और कहीं ज़्यादा प्रभावी बना सकती है।

 

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वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दो से तीन सालों में इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो सकते हैं। अगर यह दवा मानव शरीर पर भी उतनी ही असरदार साबित होती है, जितनी लैब में हुई रिसर्च में दिखी है, तो कैंसर पीड़ितों के लिए यह एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा और लाखों जिंदगियों को बचाया जा सकेगा।

कभी जो फंगस जानलेवा मानी जाती थी, वही अब जीवनदायिनी बनकर उभरी है। यह शोध न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी साबित करता है कि प्रकृति के हर तत्व में दो पहलू होते हैं – एक विनाश का और दूसरा जीवन का। ज़रूरत है तो उसे समझने, सुधारने और सही दिशा में इस्तेमाल करने की। कैंसर से जूझते लाखों मरीजों के लिए यह एक नई रौशनी की किरण है, जो उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे रही है।

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