AMRAAM मिसाइल डील से भारत की बढ़ी टेंशन, ट्रंप-तुर्की की नजदीकी से पाकिस्तान क्यों इतराया?

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 May, 2025 02:10 PM

india s tension increased due to amraam missile deal

अमेरिका ने हाल ही में तुर्की को खतरनाक AMRAAM मिसाइलें देने की मंजूरी दे दी है। करीब 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर की इस डील में तुर्की को नई जनरेशन की AIM-120C-8 एडवांस मीडियम रेंज एयर टु एयर मिसाइलें मिलेंगी।

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका ने हाल ही में तुर्की को खतरनाक AMRAAM मिसाइलें देने की मंजूरी दे दी है। करीब 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर की इस डील में तुर्की को नई जनरेशन की AIM-120C-8 एडवांस मीडियम रेंज एयर टु एयर मिसाइलें मिलेंगी। इसके अलावा अमेरिका ने AIM-9X साइडवाइंडर मिसाइलें भी तुर्की को बेचने की मंजूरी दी है। भारत के लिए यह डील चिंता का कारण इसलिए है क्योंकि तुर्की पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता रहा है। ऐसे में अगर भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ता है तो तुर्की के हथियार सीधे भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं।

क्या हैं AMRAAM मिसाइलें? क्यों हैं खतरनाक

AMRAAM, जिसका पूरा नाम Advanced Medium-Range Air-to-Air Missile है, एक अत्यंत घातक मिसाइल प्रणाली है जो हवा से हवा में हमला करती है। यह मिसाइल मध्यम दूरी तक अपने लक्ष्य को बहुत सटीकता से भेदने में सक्षम होती है। AIM-120C-8 संस्करण अमेरिका की नवीनतम तकनीक से लैस है, जिसकी रफ्तार लगभग 4900 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। खास बात यह है कि ये मिसाइलें खराब मौसम में भी अपने लक्ष्य को छोड़ती नहीं हैं और विमान से हवा में दागी जाती हैं। इनके अंदर ऐसी प्रणाली होती है जो लक्ष्य को ढूंढ़कर उसे नष्ट कर देती है। अमेरिकी वायुसेना भी इन उन्नत मिसाइलों का उपयोग करती है, जिससे यह अपनी ताकत और भी बढ़ाती है।

डील में क्या-क्या शामिल है?

अमेरिका और तुर्की के बीच हुई डील में तुर्की को कुल 53 AMRAAM मिसाइलें और 6 गाइडेंस सिस्टम दिए जाएंगे। इसके साथ ही तुर्की को AIM-9X साइडवाइंडर ब्लॉक-II मिसाइलें भी मिलेंगी, जिनकी कीमत लगभग 79 मिलियन डॉलर है। इसके अलावा तुर्की को 60 ऑल-एब-राउंड मिसाइलें और 11 टैक्टिकल गाइडेंस यूनिट्स भी मिलेंगी। ये सभी हथियार तुर्की की वायु शक्ति को काफी मजबूत बनाएंगे, जिससे उसकी हवाई ताकत में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही यह अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को भी फायदा पहुंचा सकता है, क्योंकि तुर्की पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता रहा है।

तुर्की-पाक रिश्ते और भारत की चिंता

तुर्की ने हमेशा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है। हाल के वर्षों में भारत-विरोधी मंचों पर तुर्की ने पाकिस्तान की भाषा बोली है। 2019 के तनाव के वक्त भी तुर्की ने पाकिस्तान का पक्ष लिया था। ऐसे में जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ सैन्य गतिविधियों में शामिल होता है, तो तुर्की का हथियार सहयोग बड़ा खतरा बन सकता है।

पाकिस्तान क्यों खुश है ट्रंप-तुर्की डील से?

पाकिस्तान के लिए ट्रंप-तुर्की डील एक बड़ी जीत की तरह है क्योंकि तुर्की को मिलने वाले ये हथियार खासतौर पर F-16 जैसे लड़ाकू विमानों के लिए बनाए गए हैं, और पाकिस्तान के पास पहले से ही F-16 विमान मौजूद हैं। 2019 में पाकिस्तान ने इन्हीं विमानों से भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए AMRAAM मिसाइलें दागने की कोशिश की थी। ऐसे में यदि तुर्की के पास ज्यादा मिसाइलें होंगी तो वे इन्हें पाकिस्तान के साथ साझा कर सकता है या फिर तकनीकी मदद के रूप में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पाकिस्तान के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

अमेरिका की दोहरी नीति पर सवाल

भारत के लिए सबसे बड़ा झटका यह है कि अमेरिका ने एक तरफ तो भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर और शांति की बात की, लेकिन वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को ऐसे खतरनाक हथियारों से लैस कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर पहले से ही कई सवाल उठते रहे हैं। इसके अलावा खबरें भी आ रही हैं कि ट्रंप परिवार का एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी से संबंध है, जो पाकिस्तान से जुड़ी हुई है। इन बातों के कारण भारत में यह धारणा बनने लगी है कि अमेरिका डबल गेम खेल रहा है — एक तरफ शांति और समझौते का दिखावा, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को मजबूत करने और उसकी मदद करने की रणनीति।

 

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