केयर्न एनर्जी ने भारत के खिलाफ टैक्स विवाद केस जीता, वोडाफोन के बाद सरकार की दूसरी हार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Dec, 2020 01:14 PM

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केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ एक टैक्स विवाद मामले को जीत लिया है। पिछले कुछ समय में नरेंद्र मोदी सरकार को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले भारत सरकार टैक्स विवाद मामले में ही वोडाफोन ग्रुप Plc से एक केस हार चुकी है।

बिजनेस डेस्कः केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ एक टैक्स विवाद मामले को जीत लिया है। पिछले कुछ समय में नरेंद्र मोदी सरकार को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले भारत सरकार टैक्स विवाद मामले में ही वोडाफोन ग्रुप Plc से एक केस हार चुकी है। इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि 1.2 अरब डॉलर टैक्स की मांग जायज नहीं है। मिंट के मुताबिक इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर यह जानकारी दी है। 

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ट्राइब्यूनल ने भारत सरकार को यह भी कहा है कि कंपनी का जो फंड सरकार के पास है वह ब्याज सहित कंपनी को वापस किया जाए। भारत सरकार ने केयर्न इंडिया का टैक्स रिफंड रोक रखा है। इसके साथ ही डिविडेंड जब्त कर लिया है और बकाया टैक्स के भुगतान के लिए कुछ शेयर बिक्री भी किए हैं। अब इस फैसले के बाद सरकार को यह रकम सूद सहित स्कॉटलैंड की ऑयल एक्सप्लोरर कंपनी को चुकाना होगा। हालांकि भारत सरकार इस मामले में अपील कर सकती है।

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वोडाफोन भी भारत के खिलाफ टैक्स विवाद का केस जीत चुकी है
टैक्स मामले में केयर्न एनर्जी की यह जीत इंटरनेशनल मुकदमेबाजी में भारत की दूसरी हार है। इससे पहले वोडाफोन भी भारत के खिलाफ टैक्स विवाद का केस जीत चुकी है। इससे पहले वोडाफोन के साथ टैक्स डिस्प्यूट मामले में ही एक साल तक चले केस का सितंबर में आया जिसमें भारत सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा। भारत सरकार वोडाफोन से 3 अरब डॉलर टैक्स की डिमांड कर रही थी जो इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में खाली हो गया। भारत सरकार ने 2012 के बजट में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स लागू किया था जिसके तहत 1962 के बाद किसी भी M&A पर टैक्स देना अनिवार्य कर दिया गया अगर कंपनी की संपत्ति भारत में है तो।

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मार्च 2015 में मामला दायर किया था
केयर्न ने मार्च 2015 में भारत के टैक्स डिपार्टमेंट के 1.6 अरब डॉलर से अधिक की डिमांड के खिलाफ औपचारिक विवाद दायर किया था। यह टैक्स विवाद 2007 में उस समय इसके भारतीय ऑपरेशन की लिस्टिंग से संबंधित था। केयर्न ने इस फैसले पर हालांकि कोई टिप्पणी नहीं की है। साथ ही भारत सरकार की ओर से भी कोई बयान नहीं आया है।

7500 करोड़ रुपए का था मामला
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को ऊर्जा कंपनी को 7500 करोड़ रुपए से अधिक का पेमेंट देना था। क्योंकि उसने केयर्न को डिविडेंड के शेयरों को देने से इनकार करते हुए राशि जब्त कर ली थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वेदांता के साथ अपने विलय के बाद केयर्न इंडिया में कंपनी के हिस्से के अवशिष्ट शेयरों को समाप्त कर दिया था।
 

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