Satya katha: कलयुग में यहां रहते हैं राम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jan, 2022 10:58 AM

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एक संन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये, दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे

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Ram ji ki kahani: एक संन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये, दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे, संन्यासी के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई, एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए संन्यासी ने दुकानदार से पूछा,"इसमें क्या है ?"

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दुकानदार ने कहा,"इसमें नमक है।"

संन्यासी ने फिर पूछा," इसके पास वाले में क्या है ?"

दुकानदार ने कहा,"इसमें हल्दी है।"

इसी प्रकार संन्यासी पूछते गए और दुकानदार बतलाता रहा। अंत में पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया, संन्यासी ने पूछा," उस अंतिम डिब्बे में क्या है ?"

दुकानदार बोला, "उसमें राम-राम है।"

संन्यासी ने हैरान होते हुये पूछा राम-राम ? भला यह राम-राम किस वस्तु का नाम है भाई ? मैंने तो इस नाम के किसी सामान के बारे में कभी नहीं सुना। दुकानदार संन्यासी के भोलेपन पर हंस कर बोला, "महात्मन ! और डिब्बों में तो भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं, पर यह डिब्बा खाली है, हम खाली को खाली नहीं कहकर राम-राम कहते हैं। संन्यासी की आंखें खुली की खुली रह गई !"

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जिस बात के लिये मैं दर-दर भटक रहा था, वो बात मुझे आज एक व्यापारी से समझ आ रही है। वो संन्यासी उस छोटे से किराने के दुकानदार के चरणों में गिर पड़ा, "ओह! तो खाली में राम रहता है।"

सत्य है भाई भरे हुए में राम को स्थान कहां ? काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी, सुख-दुख की बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा, तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा ? राम यानी ईश्वर तो खाली याने साफ-सुथरे मन में ही निवास करता है।

एक छोटी सी दुकान वाले ने सन्यासी को बहुत बड़ी बात समझा दी थी। आज संन्यासी अपने आनंद में था।

राजू गोस्वामी
सेवाधिकारी श्री बांके बिहारी मंदिर
श्री वृंदावन धाम

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