Edited By Rohini Oberoi,Updated: 30 May, 2025 11:55 AM
धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले स्विस आल्प्स में बुधवार को भयानक प्राकृतिक आपदा ने सबको चौंका दिया। लोत्सचेंटल घाटी के पास स्थित ब्लैटन नामक गांव पूरी तरह तबाह हो गया जब एक विशाल ग्लेशियर टूटकर बर्फ, कीचड़ और चट्टानों के मलबे के साथ तेज़ी से नीचे आया...
इंटरनेशनल डेस्क। धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले स्विस आल्प्स में बुधवार को भयानक प्राकृतिक आपदा ने सबको चौंका दिया। लोत्सचेंटल घाटी के पास स्थित ब्लैटन नामक गांव पूरी तरह तबाह हो गया जब एक विशाल ग्लेशियर टूटकर बर्फ, कीचड़ और चट्टानों के मलबे के साथ तेज़ी से नीचे आया और पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया। घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए करीब 300 लोगों और मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया।
मलबे में समाया गांव का 90% हिस्सा, 1 व्यक्ति लापता
प्रशासन के अनुसार ब्लैटन गांव का लगभग 90% भाग भूस्खलन की चपेट में आ गया है। इस आपदा में एक 64 वर्षीय स्थानीय निवासी अभी भी लापता हैं जिनकी तलाश थर्मल कैमरों से लैस ड्रोन के ज़रिए लगातार की जा रही है। ब्लैटन के मेयर मथियास बेलवाल्ड ने हुए भावुक होकर कहा, हमारा गांव अब नहीं रहा। हम इसे दोबारा बनाएंगे लेकिन यह एक कठिन और लंबी प्रक्रिया होगी।

नदी में मलबा, बाढ़ का बढ़ा खतरा
इस भयानक आपदा के कारण गांव के पास से बहने वाली लोन्जा नदी भी मलबे से भर गई है जिससे नदी का प्राकृतिक बहाव रुक गया है और संभावित बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। स्विस पर्यावरण मंत्री अल्बर्ट रोस्टी ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि हालात और बिगड़ सकते हैं इसलिए सतर्कता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।

पूर्व चेतावनी के बावजूद आपदा: जलवायु परिवर्तन मुख्य वजह
रिपोर्ट्स के अनुसार भूगर्भ वैज्ञानिकों ने पहले ही इस ग्लेशियर के अस्थिर होने की चेतावनी दी थी। यह आशंका जताई गई थी कि करीब 15 लाख घन मीटर बर्फ और चट्टानें नीचे गिर सकती हैं। इसी पूर्व चेतावनी को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही इलाके से लोगों को हटा लिया था जिससे कई जानें बच गईं।
स्विट्जरलैंड और यूरोप के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से भूस्खलन, ग्लेशियर टूटने और पर्माफ्रॉस्ट (स्थायी रूप से जमी हुई मिट्टी) पिघलने की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञ इसके पीछे मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार मानते हैं:
➤ ग्लोबल वार्मिंग: स्विट्जरलैंड के आधे से अधिक ग्लेशियर पिछले कुछ दशकों में पिघल चुके हैं जिससे पहाड़ों की स्थिरता प्रभावित हो रही है।
➤ अत्यधिक वर्षा: भारी और अनियमित बारिश मिट्टी को अस्थिर करती है जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ता है।
➤ भूकंपीय हलचल: आल्प्स क्षेत्र में हल्के भूकंप भी भूस्खलन को ट्रिगर कर सकते हैं।
➤ मानव हस्तक्षेप: सड़क निर्माण और खनन जैसे मानवीय कार्यों से भी ढलानों की प्राकृतिक संरचना कमज़ोर हो जाती है।
स्विट्जरलैंड: सुंदरता की धरती पर छिपे खतरे
स्विट्जरलैंड जिसे अक्सर विश्व की सबसे सुंदर जगहों में गिना जाता है मध्य यूरोप का एक मनमोहक पर्वतीय देश है। 41,285 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस देश का लगभग 60% भाग आल्प्स पर्वत श्रृंखला से ढका हुआ है। यहीं पर विश्व प्रसिद्ध माउंट जंगफ्राउ और मोंट ब्लांक जैसी चोटियां और कई ग्लेशियर स्थित हैं।

पर्यावरणीय संकटों के मद्देनज़र स्विट्जरलैंड सरकार ने इन आपदाओं से निपटने और भविष्य की तैयारी के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जैसे:
➤ संवेदनशील इलाकों में सेंसर और सैटेलाइट निगरानी प्रणाली स्थापित करना।
➤ ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से वास्तविक समय में डेटा एकत्र करना।
➤ 2050 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना।
यह घटना एक बार फिर इस बात पर जोर देती है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अब दूर के खतरे नहीं बल्कि हमारी आंखों के सामने की वास्तविकता हैं जिनसे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है।