anti-drone system: 3 दिन तक हवा में रहकर दुश्मन पर करेगा अटैक: नया एंटी-ड्रोन सिस्टम बना जंग का गेमचेंजर

Edited By Anu Malhotra,Updated: 09 Jun, 2025 12:27 PM

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21वीं सदी में युद्ध अब सिर्फ ज़मीन पर नहीं लड़े जाते - तकनीक ने मोर्चा पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां टैंक, तोप और मिसाइलें जंग का चेहरा हुआ करती थीं, अब वहां ड्रोन ने अपनी जगह बना ली है। चाहे भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ती घटनाएं हों या...

नेशनल डेस्क:  21वीं सदी में युद्ध अब सिर्फ ज़मीन पर नहीं लड़े जाते - तकनीक ने मोर्चा पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां टैंक, तोप और मिसाइलें जंग का चेहरा हुआ करती थीं, अब वहां ड्रोन ने अपनी जगह बना ली है। चाहे भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ती घटनाएं हों या रूस-यूक्रेन का भीषण संघर्ष-ड्रोन अब हर लड़ाई का नया हथियार बन चुके हैं।

इसी बदलती परिभाषा के चलते अब ज़रूरत है ऐसी तकनीक की, जो न सिर्फ ड्रोन का पता लगाए, बल्कि उन्हें हवा में ही खत्म कर दे। और इसी ज़रूरत ने जन्म दिया है एक अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम को -जो दुश्मन के हथियार को उसी की शैली में जवाब देता है।

हवा से हमला करने वाला शिकारी ड्रोन

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और नीदरलैंड की प्रमुख रक्षा और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने मिलकर एक ऐसा एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किया है जो खुद भी एक UAV (Unmanned Aerial Vehicle) है। यह ज़मीन पर नहीं, बल्कि दुश्मन के ड्रोन का शिकार हवा में उड़ते हुए बाज की तरह करता है। ये शिकारी ड्रोन अपने टारगेट को एडवांस रडार और सेंसर की मदद से ट्रैक करता है और फिर उस पर तेजी से हमला करता है। जब तक दुश्मन का ड्रोन कुछ समझे, यह एंटी-ड्रोन सिस्टम उसे हवा में ही ढेर कर देता है।

तीन दिन तक लगातार उड़ान, खुद लौट आता है बेस

इस सिस्टम की सबसे बड़ी ताकत है इसकी अभूतपूर्व उड़ान क्षमता। यह UAV एक बार उड़ान भरने के बाद लगातार 72 घंटे तक आसमान में सक्रिय रह सकता है। और मिशन पूरा होते ही स्वचालित रूप से अपने बेस पर लौट आता है।

यह फीचर इसे सीमावर्ती इलाकों, रणनीतिक ठिकानों और हाई-सिक्योरिटी ज़ोन के लिए बेहद उपयोगी बनाता है, जहां लगातार निगरानी की आवश्यकता होती है।

हाईटेक फीचर्स से लैस सुरक्षा कवच

इस एंटी-ड्रोन सिस्टम में आधुनिक टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल हुआ है:

  • ड्रोन डिटेक्शन रडार: जो रेडियो तरंगों के जरिए दुश्मन के ड्रोन की लोकेशन, दिशा और स्पीड को ट्रैक करता है।

  • कैमरा और नेट गन: जिससे जरूरत पड़ने पर ड्रोन को फिजिकली जाल में फंसाया भी जा सकता है।

  • साइबर टेकओवर टेक्नोलॉजी: जो दुश्मन के ड्रोन के नियंत्रण को हैक कर उसे निष्क्रिय बना सकती है।

 काउंटर-यूएएस तकनीक से लैस यह सिस्टम आने वाले समय में युद्ध की रणनीति में एक अहम भूमिका निभा सकता है। इसकी बहुआयामी क्षमताएं इसे केवल डिफेंस सिस्टम नहीं, बल्कि एक आसमान का शिकारी बनाती हैं — जो न सिर्फ देखता है, बल्कि बेहद सटीकता से वार करता है।

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