Edited By Rohini Oberoi,Updated: 02 May, 2025 04:20 PM

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के करारी कस्बे में एक ऐसा अनोखा मोहल्ला है जहां शादी के बाद बेटियों की डोली नहीं उठती बल्कि दामाद ही घर जमाई बनकर रहते हैं। किंग नगर मोहल्ले को अब 'दामादों का पुरवा' के नाम से जाना जाता है। इस अनूठी परंपरा के पीछे एक...
नेशनल डेस्क। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के करारी कस्बे में एक ऐसा अनोखा मोहल्ला है जहां शादी के बाद बेटियों की डोली नहीं उठती बल्कि दामाद ही घर जमाई बनकर रहते हैं। किंग नगर मोहल्ले को अब 'दामादों का पुरवा' के नाम से जाना जाता है। इस अनूठी परंपरा के पीछे एक गंभीर वजह है - इलाके में पहले होने वाली भ्रूण हत्या और महिलाओं पर अत्याचार।
दरअसल इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए गांव के बुजुर्गों ने मिलकर एक खास रणनीति बनाई। उन्होंने तय किया कि शादी के बाद बेटियों को ससुराल भेजने की बजाय दामादों को ही घर जमाई बनाकर रखा जाएगा। उनका मानना था कि इससे बेटियां अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहेंगी और उत्पीड़न का शिकार होने से बचेंगी।
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इस फैसले के बाद से ही इस मोहल्ले में यह परंपरा चली आ रही है। शादी के बाद बेटियां अपने मायके में ही रहती हैं और उनके पति आकर यहीं बस जाते हैं। इस व्यवस्था से न केवल बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है बल्कि परिवारों के बीच का बंधन भी मजबूत हुआ है। अब यह मोहल्ला 'दामादों का पुरवा' के नाम से दूर-दूर तक मशहूर हो चुका है और लोग इस अनूठी परंपरा के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।