Edited By Rohini Oberoi,Updated: 24 Dec, 2025 12:22 PM

महाराष्ट्र की राजनीति से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। दो दशक की लंबी तल्खी और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को पीछे छोड़ते हुए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे फिर से एक साथ आ गए हैं। आगामी बीएमसी (BMC) और महाराष्ट्र के अन्य 28 नगर निगम चुनावों के लिए...
नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र की राजनीति से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। दो दशक की लंबी तल्खी और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को पीछे छोड़ते हुए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे फिर से एक साथ आ गए हैं। आगामी बीएमसी (BMC) और महाराष्ट्र के अन्य 28 नगर निगम चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने ऐतिहासिक गठबंधन का फैसला किया है।
मातोश्री और शिवतीर्थ की दूरियां हुईं खत्म
स्थानीय निकाय चुनावों (एलजीबी) में विपक्षी दलों को मिली कड़ी शिकस्त के बाद ठाकरे भाइयों ने एक साझा दुश्मन के खिलाफ एकजुट होने का फैसला किया है। गठबंधन की जमीन तब तैयार हुई जब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत राज ठाकरे के निवास शिवतीर्थ पहुंचे। इसके बाद एमएनएस के नेताओं ने भी देर शाम उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री जाकर चर्चा को अंतिम रूप दिया। साल 2005-06 में राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद यह पहली बार है जब दोनों भाई किसी बड़े चुनावी रण में एक साथ उतर रहे हैं।
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सीट शेयरिंग का गणित और पेंच
दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान पहले 23 दिसंबर को होना था लेकिन कुछ सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था। उद्धव ठाकरे की पार्टी अपनी पिछली जीती हुई 84 सीटों में से करीब 12 से 15 सीटें राज ठाकरे की पार्टी (MNS) को देने पर सहमत हुई है। मुख्य पेच उन सीटों पर फंसा था जहाँ जीतना चुनौतीपूर्ण माना जाता है। लंबी बातचीत के बाद अब दोनों पक्ष एक साझा फार्मूले पर पहुंच चुके हैं।
क्यों अहम है यह गठबंधन?
महाराष्ट्र में बीएमसी (मुंबई नगर निगम) को 'सत्ता का द्वार' माना जाता है। 29 नगर निगमों के चुनाव में ठाकरे भाइयों का एक साथ आना राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। दोनों दलों का मुख्य आधार मराठी मानुस है। वोटों के बंटवारे को रोककर यह गठबंधन सत्ताधारी गठबंधन (महायुति) को कड़ी टक्कर दे सकता है। दोनों पार्टियों के जमीनी कार्यकर्ता इस मिलन से उत्साहित हैं जो चुनाव प्रचार में नई जान फूंक सकता है।