धीरे-धीरे समुद्र में डूब रहा यह मशहूर एयरपोर्ट, एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी, कहा- अब वक्त बहुत कम है...

Edited By Updated: 11 Jul, 2025 11:05 AM

airport sinking into the sea experts  warning causes panic

दुनियाभर में क्लाइमेट चेंज का असर तेजी से दिख रहा है और इससे जापान भी अछूता नहीं है। जापान के एक बेहतरीन और तकनीकी रूप से कल्पनाशील एयरपोर्ट कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्लाइमेट चेंज का बड़ा और चिंताजनक प्रभाव सामने आ रहा है। साल 1994 में खोला गया...

इंटरनेशनल डेस्क। दुनियाभर में क्लाइमेट चेंज का असर तेजी से दिख रहा है और इससे जापान भी अछूता नहीं है। जापान के एक बेहतरीन और तकनीकी रूप से कल्पनाशील एयरपोर्ट कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्लाइमेट चेंज का बड़ा और चिंताजनक प्रभाव सामने आ रहा है। साल 1994 में खोला गया यह एयरपोर्ट जिसे दुनिया का पहला पूरी तरह से समुद्र के बीच कृत्रिम द्वीपों पर बनाया गया था अब धीरे-धीरे समुद्र में समाता जा रहा है।

कंसाई एयरपोर्ट पर मंडरा रहा संकट: धीरे-धीरे हो रहा है जलमग्न

कंसाई एयरपोर्ट को जिस सॉफ्ट सीबेड (समुद्री तल) पर बनाया गया था वो अब लगातार धंस रहा है। बीते तीन दशकों में एयरपोर्ट का पहला द्वीप 13.6 मीटर तक जबकि दूसरा द्वीप 17.47 मीटर तक पानी के नीचे जा चुका है। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि यह अब भी हर साल 6 सेंटीमीटर तक बैठ रहा है जिससे यह विशालकाय एयरपोर्ट धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा है।

विशेषज्ञों ने दी चेतावनी: 2056 तक आंशिक रूप से डूबने का खतरा

कंसाई एयरपोर्ट के भविष्य को लेकर विशेषज्ञों ने गंभीर चेतावनी दी है। यदि इसके पानी में समाने की दर इसी तरह जारी रही तो 2056 तक एयरपोर्ट का कुछ हिस्सा पूरी तरह से समुद्र के नीचे जा सकता है। यह जापान और वैश्विक विमानन उद्योग के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।

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महंगा प्रोजेक्ट और बढ़ती चुनौतियाँ

लगभग 20 अरब डॉलर (लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये) की लागत से बने इस एयरपोर्ट का डिज़ाइन मशहूर आर्किटेक्ट रेंजो पियानो ने तैयार किया था। इसका 1.7 किलोमीटर लंबा टर्मिनल-1 दुनिया के सबसे लंबे टर्मिनलों में से एक है। निर्माण के समय इसे भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप बेहद टिकाऊ और लचीला माना गया था। लेकिन अब क्लाइमेट चेंज, समुद्र के बढ़ते स्तर और समुद्री उतार-चढ़ाव इसके सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहे हैं।

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2018 में टाइफून जेबी ने खोली पोल, बचाव अभियान जारी

इस एयरपोर्ट के बुनियादी ढांचे की कमजोरियाँ सबसे पहले 2018 में टाइफून जेबी के दौरान उजागर हुईं जब कंसाई एयरपोर्ट पूरी तरह से पानी में डूब गया था। इस घटना के बाद 150 मिलियन डॉलर (लगभग 1200 करोड़ रुपये) का एक विशाल बचाव अभियान शुरू किया गया था। इंजीनियरों ने 900 हाइड्रॉलिक जैक, सीवॉल्स और वर्टिकल सैंड ड्रेन्स जैसी तकनीकों का उपयोग करके धंसाव को नियंत्रित करने की कोशिश की। 2024 तक औसत सालाना धंसाव को कई हिस्सों में 6 सेंटीमीटर तक सीमित करने में कुछ हद तक सफलता मिली है।

उड़ानें जारी लेकिन भविष्य अनिश्चित

साल 2023 में कंसाई एयरपोर्ट ने 3.06 करोड़ यात्रियों को 91 शहरों तक पहुंचाया और इसे लगेज हैंडलिंग में विश्व का सर्वश्रेष्ठ एयरपोर्ट भी माना गया। यह जापान के लिए एक महत्वपूर्ण हवाई अड्डा बना हुआ है लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह एयरपोर्ट क्लाइमेट चेंज की लगातार बढ़ती लहरों और चुनौतियों को झेल पाएगा? कंसाई एयरपोर्ट का भविष्य सिर्फ उड़ानों और यात्रियों का नहीं बल्कि जापान की टिकाऊ विकास नीतियों और इंजीनियरिंग क्षमताओं के लिए भी एक बड़ी परीक्षा बन गया है।

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