केदारनाथ हाईवे पर हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग, जानें कब-कब हुए बड़े हादसे, यात्रा पर इन बातों का रखें खास ध्यान

Edited By Parveen Kumar,Updated: 07 Jun, 2025 08:21 PM

know when major accidents happened at kedarnath

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में शनिवार दोपहर को एक बड़ा हादसा टल गया, जब एक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी के चलते हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। यह हेलीकॉप्टर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल से एक मरीज को लाने के लिए केदारनाथ गया था।

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में शनिवार दोपहर को एक बड़ा हादसा टल गया, जब एक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी के चलते हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। यह हेलीकॉप्टर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल से एक मरीज को लाने के लिए केदारनाथ गया था। लैंडिंग के वक्त पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए किसी भी बड़ी दुर्घटना से बचा लिया। हादसे में पायलट और सभी पांच यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं, हालांकि लैंडिंग के दौरान एक कार को मामूली नुकसान पहुंचा है।

जानकारी के मुताबिक, हेलीकॉप्टर क्रिस्टल एयरलाइंस प्राइवेट लिमिटेड का था और यह एम्स ऋषिकेश से मरीज को लाने गया था। लैंडिंग से ठीक पहले इसमें तकनीकी खराबी आ गई, जिससे पायलट को मजबूरन हेलीपैड से करीब 10 मीटर पहले ही हाईवे पर उतारना पड़ा। आपातकालीन लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा टूट गया, लेकिन सौभाग्यवश कोई गंभीर चोट नहीं आई।

हेली सेवाओं पर भी पड़ा असर

उत्तरकाशी जिले के गंगानी क्षेत्र में हुए हेलीकॉप्टर हादसे का असर केदारनाथ के लिए संचालित हेली सेवाओं पर भी पड़ा। सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने एहतियातन हेली सेवा को अस्थायी रूप से रोक दिया। हादसे के बाद करीब एक घंटे तक केदारनाथ हेली सेवा बंद रही, जिससे यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हादसा सुबह करीब 8:30 बजे हुआ था। इसके बाद सभी हेली उड़ानों को रोक दिया गया। सेवा बहाल होने के बाद भी कई तीर्थयात्रियों को यात्रा में देरी हुई। कुछ श्रद्धालु हेली सेवा की प्रतीक्षा न करते हुए पैदल ही केदारनाथ धाम की ओर रवाना हो गए।

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एक महीने में चार हेलीकॉप्टर हादसे

7 जून 2025: केदारनाथ जा रहे तीर्थयात्रियों को लेकर केस्ट्रेल एविएशन का एक हेलीकॉप्टर रुद्रप्रयाग जिले के भरसू हेलीपैड के पास हार्ड लैंडिंग का शिकार हुआ। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हेलीकॉप्टर में कलेक्टिव कंट्रोल से जुड़ी तकनीकी समस्या आई थी। हादसे में सभी यात्री सुरक्षित रहे, हालांकि पायलट को हल्की चोटें आईं।
17 मई 2025: एम्स ऋषिकेश की एक एयर एम्बुलेंस केदारनाथ हेलीपैड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। टेल सेक्शन को नुकसान पहुंचा, लेकिन हेलीकॉप्टर में सवार डॉक्टर, पायलट और मेडिकल स्टाफ सुरक्षित बच निकले।
12 मई 2025: बद्रीनाथ हेलीपैड पर एक हेलीकॉप्टर का ब्लेड एक वाहन से टकरा गया। समय रहते सावधानी बरती गई, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
8 मई 2025: गंगोत्री के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें छह लोगों की जान चली गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। यह घटना सबसे गंभीर थी और इसके बाद से ही हवाई सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे।

जानें कब-कब हुए हेलीकॉप्टर हादसे

31 अगस्त 2024 (अनुमानित): केस्ट्रेल एविएशन के एक हेलीकॉप्टर को मरम्मत के लिए भारतीय वायु सेना का एमआई-17 चॉपर एयरलिफ्ट कर रहा था। इस दौरान रुद्रप्रयाग के लिंचोली क्षेत्र में मंदाकिनी नदी के पास टोइंग रस्सी टूटने से चॉपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह वही हेलीकॉप्टर था जिसने कुछ महीने पहले आपात लैंडिंग की थी।
24 मई 2024: केस्ट्रेल एविएशन का वही हेलीकॉप्टर छह तीर्थयात्रियों को लेकर केदारनाथ हेलीपैड के पास आपातकालीन लैंडिंग के लिए मजबूर हुआ था। इस घटना में सभी यात्री सुरक्षित रहे थे।
18 अक्टूबर 2022: केदारनाथ में आर्यन एविएशन का बेल 407 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में सभी सात लोग – छह तीर्थयात्री और एक पायलट – की मौके पर ही मौत हो गई। यह चॉपर केदारनाथ से उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
23 सितंबर 2019: केदारनाथ में एक और हेलीकॉप्टर हादसा हुआ, लेकिन इस बार सभी छह यात्री सुरक्षित बच गए।

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चुनौतीपूर्ण भूभाग और मौसम

अचानक बदलता मौसम: हिमालय क्षेत्र का मौसम बेहद अस्थिर होता है – घना कोहरा, तेज हवाएं, बारिश और बर्फबारी एकदम अचानक शुरू हो सकते हैं। इससे दृश्यता कम हो जाती है और उड़ान संचालन खतरनाक हो जाता है, चाहे पायलट कितना भी अनुभवी क्यों न हो।
उच्च ऊंचाई पर दबाव: ऊंचाई बढ़ने पर हेलीकॉप्टर के इंजन और अन्य प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे प्रदर्शन पर असर पड़ता है। ऐसे वातावरण में उड़ान के लिए विशेष प्रशिक्षण और सावधानी की आवश्यकता होती है।
सीमित आपातकालीन विकल्प: केदारनाथ और आसपास का पहाड़ी इलाका इतना दुर्गम है कि तकनीकी खराबी या मौसम बिगड़ने पर हेलीकॉप्टर की सुरक्षित आपात लैंडिंग करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

अत्यधिक मांग और कुछ ऑपरेटरों की लापरवाहीयां

भीड़भाड़ और दबाव: तीर्थ सीजन में हेलीकॉप्टर सेवाओं की मांग चरम पर होती है। इस दबाव में कुछ निजी ऑपरेटर उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर सकते हैं।
संभावित लापरवाहीयां: विशेषज्ञों ने कई मामलों में निम्नलिखित चिंताएं जताई हैं:
मौसम की अनदेखी: स्पष्ट जोखिम होने के बावजूद उड़ान भरना।
ओवरलोडिंग: तय वजन सीमा से ज्यादा यात्रियों या सामान को ले जाना।
पायलट की थकान: लगातार घंटों तक उड़ान भरना बिना पर्याप्त विश्राम के।
जल्दबाजी में रखरखाव: हेलीकॉप्टर को चालू रखने के लिए जरूरी मरम्मत में कोताही।

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तकनीकी खराबियां और मानवीय भूल

जटिल मशीनरी की सीमाएं: हेलीकॉप्टरों में इंजन फेलियर, रोटर सिस्टम की खराबी या कलेक्टिव कंट्रोल की गड़बड़ी जैसी समस्याएं किसी भी समय आ सकती हैं — जैसा कि हाल की घटनाओं में देखा गया।
पायलट से चूक: तेज़ी से बदलते मौसम और दुर्गम इलाके में उड़ान भरते समय गलत निर्णय या धीमी प्रतिक्रिया भी हादसे का कारण बन सकती है, भले ही पायलट अनुभवी हो।

नियामक निगरानी और सुधार की जरूरत

कड़ी निगरानी जरूरी: बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए DGCA जैसे नियामक निकायों द्वारा सख्त नियमों और नियमित निरीक्षण की आवश्यकता है ताकि ऑपरेटर हर स्थिति में सुरक्षा मानकों का पालन करें।
रियल-टाइम मौसम निगरानी: ऊंचे इलाकों में उड़ानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली और लगातार अपडेट होती मौसम जानकारी अनिवार्य होनी चाहिए।
SOPs का सख्त पालन: हर उड़ान से पहले की जांच, मौसम का मूल्यांकन, लोड प्रबंधन और पायलट के निर्णयों में मानक संचालन प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedures) का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है।

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